10 जुलाई तक रहेगा आषाढ़ मास, जानें इस पवित्र महीने में विष्णु और शिव पूजन का महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास एक अत्यंत पवित्र और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण समय होता है। वर्ष 2025 में यह मास 10 जुलाई तक रहेगा और इस संपूर्ण अवधि में विशेष रूप से भगवान विष्णु तथा भगवान शिव की पूजा का विधान है। इस माह की विशेष बात यह है कि देवशयनी एकादशी के साथ ही एक नई धार्मिक अवधि का शुभारंभ होता है जिसे चातुर्मास कहा जाता है।
देवशयनी एकादशी से शुरू होता है विष्णु का योगनिद्रा काल
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है, इस बार 6 जुलाई 2025 को पड़ रही है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन से भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और आगामी चार महीनों तक (कार्तिक शुक्ल एकादशी तक) यही स्थिति बनी रहती है। इस कालखंड को चातुर्मास कहा जाता है, जिसमें विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते।
शिव जी करते हैं सृष्टि संचालन
भगवान विष्णु के योगनिद्रा में जाने के पश्चात धर्मशास्त्रों के अनुसार सृष्टि का संचालन भगवान शिव के संरक्षण में होता है। इसलिए चातुर्मास के इन चार महीनों में विशेषकर आषाढ़ में शिव पूजन का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। शिव पुराण और स्कंद पुराण में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि जब-जब विष्णु योगनिद्रा में होते हैं, तब-तब शिव तत्व जाग्रत होकर ब्रह्मांड की रक्षा करते हैं।
आषाढ़ मास में पूजन की विशेष परंपराएं
इस मास में भक्तगण सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करते हैं और विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु स्तुति, शिव चालीसा, शिव स्तोत्र आदि का पाठ करते हैं। मंदिरों में विशेष रूप से भगवान विष्णु के शेषशायी स्वरूप की झांकी सजाई जाती है और शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध आदि चढ़ाकर अभिषेक किया जाता है। इस काल में हरिशयनी एकादशी से हरिप्रबोधिनी एकादशी तक व्रत, तप और ब्रह्मचर्य का पालन करने की भी परंपरा है।
आषाढ़ मास केवल ऋतुओं के परिवर्तन का ही संकेत नहीं देता, बल्कि यह आध्यात्मिक रूप से भी जागरूक होने का काल है। भगवान विष्णु की शांति और शिव की सक्रियता के इस विलक्षण संतुलन में उपासना, साधना और आत्मिक प्रगति के अवसर छिपे होते हैं। इसलिए यह समय भक्तों के लिए साधना और संयम का श्रेष्ठ अवसर है। 10 जुलाई तक चलने वाला यह मास हमें आत्मनिष्ठा, समर्पण और सच्चे श्रद्धा के भाव से जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।