Public Khabar

हिटलर जर्मन कॉलोनी में चुनाव जीतने की कगार पर

एडोल्फ हिटलर उनोना एक बार फिर चुनाव जीतने के करीब हैं। विवादित नाम के बावजूद यह नेता 2004 से लगातार लोकप्रिय बने हुए हैं। उनकी कहानी जानें।

हिटलर जर्मन कॉलोनी में चुनाव जीतने की कगार पर
X

राजनीति कभी-कभी ऐसे दिलचस्प मोड़ ले आती है कि जहां हर किसी की उत्सुकता बढ़ जाती है। नामीबिया के उत्तरी ओशाना क्षेत्र के ओम्पुंडजा निर्वाचन क्षेत्र में रहने वाले नेता एडोल्फ हिटलर उनोना फिर से चुनाव जीतने के करीब हैं। सुनने में अजीब लगता है, लेकिन यही उनका असली नाम है। लोग पहले चौंकते हैं, फिर समझते हैं कि कहानी इससे कहीं ज्यादा गहरी है।


उनोना 2004 से इस क्षेत्र के निर्वाचित प्रतिनिधि हैं और स्थानीय स्तर पर लोग उन्हें भरोसेमंद नेता मानते हैं। उनकी उम्र 59 है और वे सत्ताधारी स्वापो पार्टी से जुड़े हैं। चुनाव के नतीजे भले दस दिनों बाद आएं, लेकिन इलाके का माहौल बताता है कि वे फिर भारी अंतर से जीत सकते हैं।



नाम को लेकर उनकी जिंदगी में काफी गलतफहमियां पैदा हुईं। दुनिया का हर कोना उस दूसरे हिटलर की क्रूरता से परिचित है, जिसने होलोकॉस्ट जैसा अपराध करवाया था। ऐसे में यह नाम अपने आप विवाद को बुलाता है। लेकिन उनोना बार बार साफ कर चुके हैं कि उनका उस ऐतिहासिक व्यक्ति की सोच या उसके कर्मों से कोई ताल्लुक नहीं है।


उन्होंने 2020 में कहा था कि उनके पिता को शायद अंदाजा नहीं था कि यह नाम दुनिया में किसका प्रतीक है। जब वे छोटे थे, तब यह बस एक सामान्य नाम जैसा लगा। बड़े होने पर समझ आया कि यह व्यक्ति दुनिया पर कब्जा करना चाहता था। उन्होंने तो अपने बारे में उल्टा कहा कि उनका इस तरह की किसी भी सोच से कोई रिश्ता नहीं।


घर में उनकी पत्नी उन्हें एडोल्फ ही बुलाती हैं। हालांकि सार्वजनिक जीवन में वे अपने नाम से हिटलर शब्द हटा देते हैं। चाहें तो नाम बदल सकते थे, लेकिन वे कहते हैं कि यह अब बहुत देर का मामला है, क्योंकि सभी आधिकारिक कागजात इसी नाम से बने हैं।


नामिबिया कभी जर्मन कॉलोनी रहा था। इस वजह से एडोल्फ जैसे नाम आज भी कई जगह सुनाई दे जाते हैं। 2020 में उनके ही क्षेत्र में एक कार पर एडोल्फ हिटलर और स्वास्तिक का निशान दिखाई दिया था। लोग तुरंत इसे उनसे जोड़ने लगे, लेकिन उन्होंने साफ कहा कि उनका उससे कोई लेना देना नहीं था।


2020 के चुनाव में उन्हें 85 प्रतिशत वोट मिले थे। अब एक बार फिर चुनाव की हवा उसी दिशा में बहती दिख रही है। एक नेता का नाम चाहे जितना विचित्र क्यों न हो, लेकिन जनता उसके काम को देखकर तय करती है कि किसे आगे बढ़ाना है। ओम्पुंडजा में फिलहाल यही कहानी दोहराई जाती दिख रही है।

Tags:
Next Story
Share it