अक्षय तृतीया 2025, वैशाख शुक्ल तृतीया पर करें ये पुण्य कर्म, मिलेगा अमिट फल और पापों से मुक्ति

हिंदू धर्म में वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के रूप में मनाया जाता है। यह दिन अक्षय फल प्रदान करने वाला माना गया है, जिसका अर्थ है — ऐसा पुण्य जो कभी नष्ट नहीं होता। इसलिए इसे 'अक्षय पुण्य प्राप्ति का पर्व' भी कहा जाता है। यह तिथि अत्यंत पवित्र मानी जाती है और इसे बिना किसी मुहूर्त के सभी शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
इस दिन स्नान, दान, जप, तप, व्रत और ब्राह्मण सेवा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। विशेष रूप से गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान कर दान देने से असीम पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
क्यों कहा जाता है अक्षय तृतीया को पुण्य का अक्षय भंडार?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन किए गए सत्कर्म कभी समाप्त नहीं होते। यह वही पावन तिथि है जब त्रेता युग का प्रारंभ हुआ था। इसी दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ और श्रीकृष्ण ने पांडवों को अक्षय पात्र प्रदान किया था। शास्त्रों में वर्णित है कि जो भक्त इस दिन ताम्रपात्र, जल से भरा घड़ा, वस्त्र, चंदन, अन्न, घी, गुड़, खांड, सत्तू, छाता और जूते का दान करता है, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जन्मों-जन्मों तक पुण्य की प्राप्ति होती है।
अक्षय तृतीया के दिन ऐसे करें दान और धर्म के कार्य
सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पवित्र नदी, सरोवर या घर पर ही गंगाजल युक्त जल से स्नान करना शुभ होता है। इसके बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का पूजन करें। फिर यथाशक्ति गरीबों, ब्राह्मणों और ज़रूरतमंदों को दान दें।
यदि संभव हो तो जल से भरे मटके, फल, मिठाई, सत्तू, शीतल पेय, चप्पल, छाता, या पंखा आदि गर्मी से राहत देने वाली वस्तुओं का दान अवश्य करें। यह न केवल दैविक पुण्य देता है बल्कि मानवीय कर्तव्य की भी पूर्ति करता है।
अक्षय तृतीया: शुभ कार्यों के लिए सर्वोत्तम दिन
अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त कहा गया है, यानी इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए विशेष मुहूर्त निकालने की आवश्यकता नहीं होती। विवाह, गृह प्रवेश, भूमि पूजन, वाहन खरीद, व्यवसाय आरंभ, सोना खरीदने जैसे कार्य इस दिन विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
यह दिन सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और मानसिक शुद्धि का भी प्रतीक है। जो व्यक्ति इस तिथि को आत्म संयम, सद्कर्म और परोपकार में लगाता है, वह अपने जीवन में स्थायी सुख और आत्मिक संतुलन प्राप्त करता है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।