23 मई को है अपरा एकादशी 2025, भगवान विष्णु को समर्पित इस पावन दिन पर मिलेगा पुण्य, धन और उन्नति का वरदान

23 मई को है अपरा एकादशी 2025, भगवान विष्णु को समर्पित इस पावन दिन पर मिलेगा पुण्य, धन और उन्नति का वरदान
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हिंदू पंचांग में एकादशी व्रत को विशेष रूप से शुभ और पुण्यदायक माना गया है। यह व्रत भगवान श्रीविष्णु को समर्पित होता है और वर्ष भर में कुल 24 एकादशियाँ आती हैं — प्रत्येक पक्ष में एक। प्रत्येक एकादशी का अलग नाम और महत्व होता है। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को "अपरा एकादशी" कहा जाता है। यह व्रत आध्यात्मिक उन्नति, पापों के नाश और अपार ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए अत्यंत फलदायक माना जाता है।

अपरा एकादशी: धन और सिद्धि की प्राप्ति का दुर्लभ अवसर

शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति अपरा एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक करता है, उसे न केवल भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है बल्कि मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलता है। 'अपरा' शब्द का अर्थ ही होता है — "जिसकी कोई सीमा न हो"। इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को ऐसे पुण्यफल की प्राप्ति होती है जो राजसूय यज्ञ, तीर्थ स्नान और दान जैसे महान कर्मों से भी संभव नहीं।

व्रत करने से जीवन के कष्ट, आर्थिक तंगी, मानसिक बेचैनी और असफलता दूर होती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ होता है जो व्यापार, नौकरी या पारिवारिक जीवन में स्थिरता और समृद्धि की कामना करते हैं।

कब है अपरा एकादशी व्रत 2025? जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 23 मई 2025 को रात 1 बजकर 12 मिनट पर होगी और यह तिथि उसी दिन रात 10 बजकर 29 मिनट तक मान्य रहेगी। अपरा एकादशी का व्रत 23 मई, शुक्रवार को रखा जाएगा।

इस दिन पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ समय है ब्रह्म मुहूर्त, जो सुबह 4:04 मिनट से 4:45 मिनट तक रहेगा। इसी दौरान स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यंत फलदायक माना जाता है।

व्रत पूजन विधि: कैसे करें अपरा एकादशी की पूजा

अपरा एकादशी व्रत के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु का ध्यान करें। पूजा स्थान पर पीले वस्त्र बिछाकर श्रीहरि की प्रतिमा को स्थापित करें। फिर तुलसी पत्र, पीला पुष्प, पंचामृत, चंदन, धूप, दीप और फल अर्पित करें। विष्णु सहस्रनाम, श्रीविष्णु चालीसा या गीता का पाठ करना इस दिन विशेष पुण्यकारी होता है।

व्रतधारी को दिनभर उपवास रखना चाहिए और निराहार या फलाहार करते हुए भगवान का स्मरण करना चाहिए। रात्रि को जागरण कर भजन-कीर्तन करना भी शुभ माना गया है।

अपरा एकादशी का व्रत न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह एक दिव्य अवसर है अपने जीवन को आत्मिक और भौतिक रूप से समृद्ध बनाने का। जो भक्त इस दिन पूरे नियम और विधि से व्रत करते हैं, उन्हें विष्णु भगवान की असीम कृपा प्राप्त होती है। 2025 में यह व्रत 23 मई शुक्रवार को मनाया जाएगा, जो विशेष रूप से शुभ मुहूर्त में पड़ रहा है। यदि आप भी जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की कामना करते हैं, तो अपरा एकादशी का व्रत आपके लिए वरदान सिद्ध हो सकता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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