अप्रैल से जून तक 30 शादियों के शुभ मुहूर्त, खरमास के बाद फिर से शुरू होंगे मांगलिक कार्य

सूर्य के मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास का समापन हो गया है। 14 अप्रैल से शुरू होने वाली सतुआ संक्रांति के पर्व के साथ मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। पिछले एक महीने से शुभ कार्यों पर लगी रोक अब समाप्त हो गई है और अप्रैल से जून तक शादियों के लिए 30 शुभ मुहूर्त उपलब्ध होंगे।
खरमास का समापन, शहनाई की गूंज
काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने बताया कि खरमास का समापन सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ हुआ। अब शुभ और मांगलिक कार्यों पर लगे विराम के बाद से शहनाइयां फिर से गूंजने वाली हैं। 14 अप्रैल से 8 जून तक कुल 30 शुभ मुहूर्त हैं, जो शादियों के लिए खास हैं।
अप्रैल से जून तक के शुभ मुहूर्त
आचार्य अशोक द्विवेदी ने बताया कि अप्रैल से लेकर जून तक शादियों के लिए कई शुभ तिथियां उपलब्ध हैं। जिनमें प्रमुख मुहूर्त इस प्रकार हैं:
1. अप्रैल: 14, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 25, 29, 30
2. मई: 1, 5, 6, 8, 10, 14, 15, 16, 17, 18, 23, 24, 27, 28
3. जून: 2, 4, 5, 7, 8
इन तिथियों में से अधिकांश दिन शादियों के लिए अनुकूल हैं। हालांकि, जून के बाद शुभ मुहूर्त के लिए लंबे इंतजार की आवश्यकता होगी।
चातुर्मास का आगमन और शादियों पर रोक
6 जुलाई को देवशयनी एकादशी के साथ चातुर्मास की शुरुआत होगी। इस दौरान विवाह जैसे मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी। चातुर्मास चार महीने तक रहेगा, जो भक्ति, तप और साधना के लिए समर्पित होता है। इस समय में विवाह, गृह प्रवेश, शगुन जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते।
शुभ कार्यों की पुनरारंभ
चातुर्मास का समापन नवंबर में देवउठनी एकादशी के साथ होगा, जब भगवान श्रीविष्णु योगनिद्रा से जागेंगे और तुलसी जी से विवाह करेंगे। इसके साथ ही सभी प्रकार के मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे।
अप्रैल से जून तक शादियों के लिए ढेर सारे शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं, जो वैवाहिक आयोजनों को लेकर खुशखबरी का कारण बन रहे हैं। इसके बाद जुलाई से नवंबर तक मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी, लेकिन देवउठनी एकादशी के साथ शुभ कार्यों की शुरुआत होगी।
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