गहन साधना और शक्तिपूजन का पर्व: आषाढ़ गुप्त नवरात्र 2025 की शुरुआत 26 जून से, जानें विशेषताएं और पूजा का महत्व

सनातन धर्म में नवरात्रि के दो स्वरूप विशेष रूप से मनाए जाते हैं—एक है शारदीय नवरात्रि जो सार्वजनिक रूप से धूमधाम से मनाया जाता है, और दूसरा है गुप्त नवरात्रि, जो तांत्रिक साधना और शक्ति उपासना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। आषाढ़ मास की शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होने वाला यह पर्व इस वर्ष 26 जून 2025 से आरंभ हो रहा है। यह नौ दिनों का अनुष्ठान मां दुर्गा की दस महाविद्याओं को समर्पित होता है, जिसमें साधक गुप्त रूप से शक्ति की आराधना करते हैं।
गुप्त नवरात्रि: जब साधना होती है गोपनीय और प्रभावशाली
गुप्त नवरात्र का अर्थ है—वह नवरात्रि जो साधारण लोगों की दृष्टि से प्रायः ओझल रहती है, लेकिन साधकों और तांत्रिक उपासकों के लिए अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। आषाढ़ और माघ मास में आने वाली ये गुप्त नवरात्रियां विशेषत: दस महाविद्याओं की पूजा के लिए उत्तम होती हैं। इन दिनों में मां काली, तारा, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुरसुंदरी, भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की विशेष साधना की जाती है।
व्रत, उपवास और शक्तिपूजा का महत्व
इन नौ दिनों में व्रती नियमपूर्वक उपवास रखते हैं, मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना करते हैं और विशेष तांत्रिक अनुष्ठानों का आयोजन करते हैं। यह काल उन साधकों के लिए अत्यंत फलदायी होता है जो आध्यात्मिक ऊंचाई की ओर बढ़ना चाहते हैं या सांसारिक समस्याओं से मुक्ति पाना चाहते हैं।
मान्यता है कि गुप्त नवरात्र में की गई पूजा और साधना का प्रभाव दस गुना अधिक होता है, और यदि यह श्रद्धा, नियम और सही विधि से की जाए, तो साधक को अद्भुत शक्तियों की प्राप्ति हो सकती है।
तांत्रिक दृष्टि से भी अति विशेष समय
गुप्त नवरात्रि उन साधकों के लिए स्वर्णिम समय है जो किसी विशेष सिद्धि की प्राप्ति चाहते हैं या शक्ति साधना में रत हैं। तंत्र मार्ग में गुप्त नवरात्र को साधना सिद्धि का द्वार माना गया है। रात के समय विशेष पूजन, मंत्र जाप और यंत्र साधना से साधक शक्ति की कृपा प्राप्त करते हैं।
पंचांग अनुसार तिथि और पूजा विधि
पंचांग के अनुसार 26 जून 2025 को प्रातः से शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि प्रारंभ होगी और उसी दिन से गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ होगा। प्रत्येक दिन मां दुर्गा के एक विशिष्ट स्वरूप की पूजा की जाती है और नवमी तिथि तक यह विशेष साधना चलती है। भक्त इन दिनों में दुर्गा सप्तशती, देवी कवच, अर्गला स्तोत्र और महाविद्याओं के मंत्रों का पाठ करते हैं।
क्या करें गुप्त नवरात्र में:
* प्रतिदिन सुबह-शाम दुर्गा मां की पूजा करें
* किसी सिद्ध साधक से मार्गदर्शन लेकर दस महाविद्याओं की साधना करें
* यथाशक्ति व्रत रखें और सात्विक आहार लें
* देवी के मंत्रों का जप करें और यंत्रों की स्थापना करें
* जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या दक्षिणा का दान करें
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि केवल व्रत या उपवास का पर्व नहीं है, यह एक आंतरिक यात्रा है शक्ति की, साधना की और आत्मबल के विकास की। 26 जून से शुरू हो रहे इस पर्व में श्रद्धा और नियमपूर्वक की गई पूजा जीवन में अद्भुत परिवर्तन ला सकती है। चाहे आप सांसारिक बाधाओं से जूझ रहे हों या आत्मिक जागरण की ओर बढ़ना चाहते हों, गुप्त नवरात्रि आपको देवी की कृपा का अमूल्य अवसर प्रदान करती है। इस वर्ष इस शक्ति पर्व का पूरा लाभ लें, और मां दुर्गा की कृपा से जीवन को सकारात्मक दिशा में अग्रसर करें।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।