मां बगलामुखी जयंती 2025, संकटों का नाश और शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली देवी की आराधना का पावन पर्व

दस महाविद्याओं में प्रमुख स्थान रखने वाली मां बगलामुखी देवी को शक्ति का एक अत्यंत उग्र और रक्षक स्वरूप माना जाता है। हिंदू धर्मशास्त्रों में इन्हें शत्रु पर विजय, वाणी पर नियंत्रण और भय के नाश की देवी बताया गया है। देवी बगलामुखी की जयंती हर वर्ष वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष 2025 में यह शुभ तिथि 5 मई, सोमवार के दिन पड़ रही है। यह दिन साधना, तंत्र विद्या और आत्मरक्षा की शक्ति प्राप्त करने हेतु विशेष माना जाता है।
बगलामुखी जयंती का आध्यात्मिक और तांत्रिक महत्व
मां बगलामुखी को 'पीताम्बरा देवी' के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वे पीले वस्त्र धारण करती हैं और पीले पुष्पों की प्रिय हैं। इन्हें तांत्रिक साधनाओं की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। माना जाता है कि इनकी कृपा से वाणी में सिद्धि, वाद-विवाद में विजय और न्यायिक मामलों में सफलता मिलती है। विशेष रूप से कोर्ट-कचहरी, राजनीतिक विवाद या शत्रु बाधा जैसी स्थितियों में इनकी आराधना अत्यंत प्रभावकारी मानी जाती है। कलियुग में जहां हर ओर संघर्ष और मानसिक तनाव है, वहां मां बगलामुखी की साधना जीवन को सुरक्षा और मानसिक स्थिरता प्रदान करती है।
कैसे करें मां बगलामुखी की पूजा – विधि और नियम
बगलामुखी जयंती के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें और पूजा स्थान को हल्दी, चंदन, और पीले फूलों से सजाएं। मां बगलामुखी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और "ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा" इस बीज मंत्र का 108 बार जाप करें। पीले पकवानों का भोग लगाएं, विशेष रूप से बेसन के लड्डू और केसर युक्त खीर अर्पित करें। इस दिन व्रत रखने और हवन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
मान्यताएं और लोक परंपराएं
लोक मान्यताओं के अनुसार, जो साधक सच्चे मन से मां बगलामुखी की उपासना करता है, उसकी सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में शांति एवं स्थायित्व आता है। कई साधक इस दिन विशेष तांत्रिक अनुष्ठान कर मां से सिद्धियां प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। साधना के लिए यह रात्रि भी अत्यंत फलदायक मानी गई है, विशेषकर गुरु या आचार्य के निर्देशन में की गई पूजा।
मां बगलामुखी जयंती न केवल तांत्रिक दृष्टि से बल्कि आस्था और शक्ति की उपासना के रूप में भी अत्यंत महत्व रखती है। 5 मई 2025 को आने वाला यह पावन पर्व आत्मबल, मानसिक स्थिरता और विजयी जीवन की कामना रखने वालों के लिए एक दुर्लभ अवसर है। इस दिन देवी की उपासना कर हम अपने जीवन की नकारात्मक शक्तियों से रक्षा पा सकते हैं और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति कर सकते हैं।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।