भानु सप्तमी 2025, सूर्य देव की कृपा पाने और कुंडली के दोष मिटाने का दुर्लभ योग, जानें व्रत व पूजन विधि

भानु सप्तमी 2025, सूर्य देव की कृपा पाने और कुंडली के दोष मिटाने का दुर्लभ योग, जानें व्रत व पूजन विधि
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हिंदू पंचांग के अनुसार, जब किसी रविवार को सप्तमी तिथि पड़ती है, तब उसे भानु सप्तमी कहा जाता है। यह दिन विशेष रूप से सूर्य देव को समर्पित होता है, जिन्हें नवग्रहों में राजा की उपाधि प्राप्त है। इस वर्ष 2025 में भानु सप्तमी का यह अत्यंत पुण्यदायक पर्व 4 मई, रविवार को मनाया जाएगा। वैशाख शुक्ल सप्तमी की यह तिथि सूर्य की ऊर्जा, स्वास्थ्य, आत्मबल और नेतृत्व क्षमता को जाग्रत करने के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है।

सूर्य देव की पूजा से मिलती है विशेष कृपा

भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव की विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए उपायों से कुंडली में स्थित सूर्य संबंधी दोष जैसे पितृ दोष, आत्मबल की कमी, या सरकारी अड़चनों का निवारण होता है। विशेष रूप से जो लोग सरकारी नौकरी, राजनीति या प्रशासन से जुड़े हैं, उनके लिए यह दिन अत्यंत लाभकारी है। सूर्य को जल अर्पण करने, लाल वस्त्र पहनने और सूर्य मंत्र का जाप करने से सूर्य की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

इस बार बन रहे हैं तीन शुभ संयोग

4 मई 2025 की भानु सप्तमी पर तीन विशेष संयोग बन रहे हैं जो इस दिन को और भी शुभ बना रहे हैं। यह तिथि रविवार को पड़ रही है, जो स्वयं सूर्य देव का दिन है। साथ ही, सप्तमी तिथि भी सूर्य देव से जुड़ी मानी जाती है। तीसरा संयोग है शुभ नक्षत्रों का योग, जो सूर्य पूजा के प्रभाव को कई गुना बढ़ा देता है। इन योगों के चलते इस दिन सूर्य साधना विशेष फलदायी होगी।

कैसे करें भानु सप्तमी पर सूर्य पूजा

भानु सप्तमी की सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और सूर्य को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें। जल में लाल फूल, रोली, और चावल मिलाएं। इसके बाद “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। सूर्य देव को गुड़, गेहूं, लाल वस्त्र और तांबे के पात्र अर्पित करें। संतान सुख, स्वास्थ्य लाभ और प्रशासनिक सफलता की कामना से यह पूजन किया जाता है।

कुंडली में सूर्य दोष? तो करें ये उपाय

अगर आपकी जन्मकुंडली में सूर्य कमजोर है या सूर्य ग्रह से जुड़े दोष हैं, तो इस दिन सूर्य अर्घ्य के साथ-साथ सूर्य चालीसा, आदित्य ह्रदय स्तोत्र और गायत्री मंत्र का पाठ करें। वृद्ध ब्राह्मण को लाल वस्त्र या छाता दान करें। इससे सूर्य संबंधी सभी बाधाएं धीरे-धीरे दूर हो जाती हैं और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

भानु सप्तमी केवल धार्मिक अनुष्ठान का अवसर नहीं है, बल्कि यह आत्म-शक्ति, नेतृत्व और तेज को जाग्रत करने का दिव्य क्षण है। 4 मई को बन रहे योग और सूर्य देव की विशेष उपस्थिति इस दिन को अत्यंत फलदायक बना रहे हैं। यदि आप अपने जीवन में प्रगति, सम्मान और मानसिक शक्ति की कामना करते हैं, तो भानु सप्तमी पर सूर्य पूजा अवश्य करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में नया उजाला भरें।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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