भाजपा नए अध्यक्ष की घोषणा इसी हफ्ते कर सकती है पार्टी नेतृत्व में हलचल तेज
भाजपा नेतृत्व बदलाव की तैयारियां तेज नए अध्यक्ष पर चर्चा निर्णायक दौर में

दिल्ली की राजनीति इन दिनों असाधारण हलचल के बीच गुजर रही है। भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा, इस सवाल पर पिछले तीन दिनों से पार्टी के शीर्ष नेताओं की बैठकों ने माहौल और गर्म कर दिया है। पार्टी के वरिष्ठों की तेज गतिविधियों को देखकर यह लगभग तय माना जा रहा है कि भाजपा अपने नए अध्यक्ष का ऐलान इसी हफ्ते कर सकती है। इतना सब चल रहा है और फिर भी आधिकारिक चुप्पी, यह अपने आप में कहानी कहती है कि निर्णय बिल्कुल उबलते बिंदु पर पहुंच चुका है।
अमित शाह की लगातार बैठकों और संगठन चुनाव समिति के अध्यक्ष के लक्ष्मण की शाह से मुलाकात ने अटकलों को और हवा दे दी है। बुधवार शाम को जेपी नड्डा द्वारा पदाधिकारियों को दिए जाने वाले रात्रिभोज को भी कई नेता इस संभावित बदलाव से जोड़कर देख रहे हैं, जबकि आधिकारिक रूप से इसे बिहार विजय के जश्न का बहाना बताया जा रहा है। राजनीति में प्रतीकों का अपना अलग ही स्थान है और यह रात्रिभोज भी उसी कड़ी में देखा जा रहा है।
नए अध्यक्ष पद के लिए जिन नामों की चर्चा सबसे ज्यादा चल रही है उनमें धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, शिवराज सिंह चौहान, सुनील बंसल और मनोहर लाल खट्टर शामिल हैं। हालांकि भाजपा में अंतिम समय में किसी नए नाम का आ जाना कोई असामान्य बात नहीं। पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि इस बार भी किसी अप्रत्याशित चेहरे के सामने आने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।
इस बीच 28 से 30 नवंबर तक रायपुर में देशभर के डीजीपी की बैठक होने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हमेशा की तरह इस तीन दिवसीय बैठक में मौजूद रहेंगे। दोनों ही आंतरिक सुरक्षा से संबंधित इन बैठकों में पूरा समय देने की परंपरा निभाते रहे हैं। इसके तुरंत बाद एक दिसंबर से 19 दिसंबर तक संसद का शीतकालीन सत्र चलेगा। इन व्यस्त कार्यक्रमों के बीच भाजपा चाहती है कि अध्यक्ष पद पर फैसला जल्द हो ताकि संगठनात्मक तालमेल बना रहे। अगर इस हफ्ते घोषणा नहीं हुई तो फिर यह मामला मकर संक्रांति के आसपास तक खिंच सकता है।
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक अगले तीन दिन बेहद निर्णायक हैं। करीब एक साल से लंबित यह चुनाव पहले बिहार विधानसभा चुनावों के बाद होना था। जेपी नड्डा का कार्यकाल लोकसभा चुनावों तक बढ़ाया गया था, लेकिन अब देरी की गुंजाइश बहुत कम रह गई है। सूत्र कहते हैं कि शीर्ष नेतृत्व बदलाव को हल्के में नहीं लेना चाहता और यही वजह है कि हर पहलू पर गहन चर्चा चल रही है।
भाजपा मुख्यालय में इन दिनों जिस तरह की गतिविधि देखी जा रही है, उससे संकेत साफ है कि पार्टी के भीतर फैसला लगभग तय है। बस घोषणा का इंतजार बाकी है और पूरा राजनीतिक दिल्ली इस पर नजर गड़ाए बैठी है।
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