14 अप्रैल से आरंभ हुआ बोहाग बिहू का पर्व, जानिए क्यों मनाया जाता है यह सात दिवसीय उत्सव

पूरा असम आज उत्सव के रंग में रंगा हुआ है क्योंकि 14 अप्रैल से शुरू हो चुका है बोहाग बिहू—एक ऐसा पर्व जो सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि असमिया संस्कृति की आत्मा है। इस पर्व का उत्साह और उल्लास सात दिनों तक पूरे राज्य को नई ऊर्जा और उमंग से भर देता है। बोहाग बिहू के साथ नए असमिया साल की शुरुआत भी होती है, जिसे लोग हर्ष और श्रद्धा के साथ मनाते हैं।
सात दिन तक चलता है यह सांस्कृतिक उत्सव
बोहाग बिहू की शुरुआत इस बार 14 अप्रैल से हुई है और इसका समापन 20 अप्रैल को होगा। इस दौरान असम के हर कोने में पारंपरिक नृत्य, लोकगीत, ढोल-नगाड़ों की थाप और रंग-बिरंगे वस्त्रों में सजे लोग इस पर्व की गरिमा को चार चांद लगाते हैं। किसान इस समय अपनी खेती की नई शुरुआत करते हैं और प्रकृति की पूजा करते हैं। यह पर्व प्रेम, सौहार्द और नए आरंभ का प्रतीक है।
साल में तीन बार मनाया जाता है बिहू
बिहू केवल एक बार मनाया जाने वाला त्योहार नहीं है। असम में इसे साल में तीन अलग-अलग समयों पर मनाया जाता है, हर बार एक विशेष उद्देश्य और मौसम के अनुरूप।
1. बोहाग बिहू (अप्रैल/वैशाख): नए साल और फसल बोने की शुरुआत का प्रतीक
2. माघ बिहू (जनवरी): कटाई के बाद धन्यवाद ज्ञापन का पर्व
3. काटी बिहू (अक्टूबर/कार्तिक): फसल की रक्षा और खेतों की पूजा का उत्सव
इन तीनों बिहू पर्वों से असम की कृषि संस्कृति, जीवनशैली और परंपराएं गहराई से जुड़ी हुई हैं।
बोहाग बिहू: लोक परंपराओं और भावनाओं का संगम
बोहाग बिहू सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि सामाजिक मिलन का अवसर भी होता है। युवा वर्ग पारंपरिक 'बीहू डांस' और गीतों के माध्यम से अपने भाव व्यक्त करते हैं। महिलाएं नई पारंपरिक पोशाकें पहनती हैं और पुरुष ढोल और pepa बजाकर उत्सव का माहौल बनाते हैं। गांव-गांव में मेले लगते हैं, लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और घरों में पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं।
नए वर्ष की शुरुआत और आशाओं का प्रतीक
बोहाग बिहू को असमिया नववर्ष की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं, घरों की सफाई करते हैं और भविष्य के लिए अच्छे दिनों की कामना करते हैं। यह पर्व न केवल कृषि से जुड़ा है, बल्कि मानवीय रिश्तों और सामाजिक एकता को भी मजबूत करता है।
बोहाग बिहू असम की सांस्कृतिक पहचान का आधार है। यह पर्व न केवल किसानों के लिए नई शुरुआत लाता है, बल्कि समाज को भी उमंग और प्रेम से भर देता है। ऐसे समय में जब परंपराएं धीरे-धीरे धुंधली हो रही हैं, बोहाग बिहू जैसे त्योहार हमें अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य करते हैं।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।