चैत्र पूर्णिमा 2025, हनुमान जयंती और तुलसी पूजा का दुर्लभ संयोग, जानें आज के व्रत का महत्व

चैत्र पूर्णिमा 2025, हनुमान जयंती और तुलसी पूजा का दुर्लभ संयोग, जानें आज के व्रत का महत्व
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हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा इस वर्ष शनिवार, 12 अप्रैल 2025 को पड़ रही है। यह दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दिन एक ओर जहां हनुमान जयंती का महापर्व मनाया जाएगा, वहीं दूसरी ओर चैत्र पूर्णिमा का व्रत और तुलसी माता की विशेष पूजा का संयोग भी बन रहा है। ऐसे दुर्लभ अवसर पर व्रत, जप, तप और पूजन का अत्यधिक पुण्य फल प्राप्त होता है।

चैत्र पूर्णिमा का व्रत: धर्म, तप और भक्ति का संगम

चैत्र पूर्णिमा का दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को आता है। इसे धार्मिक ग्रंथों में पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति का द्वार बताया गया है। इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को मन, वाणी और कर्म से शुद्ध रहना चाहिए। व्रतधारी सूर्योदय से पूर्व स्नान कर, भगवान विष्णु की पूजा और दान-पुण्य करते हैं। पवित्र नदियों में स्नान और गरीबों को अन्न-वस्त्र का दान इस दिन विशेष फलदायी माना गया है।

हनुमान जयंती का योग: शक्ति, भक्ति और चिरंजीवता का उत्सव

12 अप्रैल को ही हनुमान जन्मोत्सव भी मनाया जा रहा है, जो कि चैत्र पूर्णिमा पर ही होता है। हनुमान जी को कलयुग में जीवित और जाग्रत देव माना जाता है। इस दिन भक्त हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और रामनाम का जाप कर अपने जीवन की बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। बजरंगबली की पूजा से भय, रोग, शत्रु और दुर्भाग्य का नाश होता है।

तुलसी माता की उपासना: आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा के दिन तुलसी माता की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। तुलसी को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है और इनकी आराधना से पापों का नाश और पुण्य की वृद्धि होती है। तुलसी को जल अर्पण कर दीपक जलाना और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है।

चैत्र पूर्णिमा 2025 का दिन आध्यात्मिक साधना, उपासना और शक्ति की आराधना के लिए अत्यंत मंगलकारी है। इस दिन तीन विशेष धार्मिक संयोग—पूर्णिमा व्रत, हनुमान जयंती और तुलसी पूजा—का योग बन रहा है, जो अत्यंत दुर्लभ होता है। भक्तों के लिए यह दिन जीवन को नई ऊर्जा, आस्था और सकारात्मकता से भरने का उत्तम अवसर है। अतः व्रत, दान और पूजन के माध्यम से इस पुण्य तिथि को पूर्ण श्रद्धा के साथ मनाएं और ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करें।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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