झारखंड: पूर्व सीएम चंपाई सोरेन ने असम के चाय श्रमिक बिल के लिए हिमंत बिस्वा सरमा की सराहना की
असम में चाय बागान मजदूरों को मिलेगा जमीन का मालिकाना हक, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने हिमंत बिस्वा सरमा की तारीफ की

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी विधायक चंपाई सोरेन ने असम सरकार द्वारा चाय बागान कर्मचारियों को भूमि का मालिकाना हक देने वाले विधेयक के लिए सीएम हिमंत बिस्वा सरमा की सराहना की है।
असम विधानसभा ने शुक्रवार को एक संशोधन विधेयक पारित किया, जिसके तहत चाय बागानों की 'लेबर लाइन्स' में रहने वाले कर्मचारियों को घर बनाने के लिए जमीन का वितरण किया जाएगा और उन्हें मालिकाना अधिकार प्रदान किए जाएंगे।
शनिवार को सोशल मीडिया पर चंपाई सोरेन ने कहा कि इस निर्णय से लाखों आदिवासियों और अन्य कर्मचारियों को लाभ मिलेगा, जो 200 वर्षों से असम में बसे हुए हैं। उन्होंने असम कैबिनेट द्वारा अनुमोदित उस प्रस्ताव का भी स्वागत किया, जिसके अंतर्गत चाय बागान कर्मचारियों को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल किया जाएगा।
सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक सोरेन ने आरोप लगाया कि असम में कांग्रेस सरकारों ने सदैव इन श्रमिकों के अधिकारों की अनदेखी की, जो कई पीढ़ियों से पूर्वोत्तर राज्य में निवास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "बीजेपी सरकार ने इन कर्मचारियों के दशकों पुराने संघर्ष का सम्मान करते हुए उनकी मांग पूरी करने की दिशा में मजबूत कदम उठाया है।"
आदिवासी समुदाय की ओर से चंपाई सोरेन ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को इन "ऐतिहासिक फैसलों" के लिए धन्यवाद दिया।
रविवार को सरमा ने सोशल मीडिया पर जवाब देते हुए सोरेन की सराहना की और कहा कि चाय समुदाय तथा आदिवासी समाज के अधिकारों को मजबूत करना उनकी सरकार की प्राथमिकता है।
असम के मुख्यमंत्री ने कहा, "आपकी शुभकामनाएं चाय बागान के सभी कर्मचारी परिवारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए हमें प्रेरित करती रहेंगी।"
इस विधेयक से झारखंड मूल के उन आदिवासियों को लाभ मिलने की उम्मीद है, जिन्हें ब्रिटिश काल में चाय बागानों में काम करने के लिए असम ले जाया गया था और जो पीढ़ियों से वहीं बसे हुए हैं।
