2025 में दूसरा पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा बेहद खास, जानिए कब लगेगा सूतक काल और क्या होंगे इसके प्रभाव

2025 में दूसरा पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा बेहद खास, जानिए कब लगेगा सूतक काल और क्या होंगे इसके प्रभाव
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साल 2025 के खगोलीय घटनाक्रम में आने वाला दूसरा चंद्र ग्रहण विशेष महत्व रखता है। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात से शुरू होकर 8 सितंबर की भोर तक जारी रहेगा। भारतीय समयानुसार, यह ग्रहण रात 9 बजकर 58 मिनट पर प्रारंभ होगा और 8 सितंबर की रात 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा। इस दौरान चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में आ जाएगा, जिसे खगोलीय भाषा में ‘पूर्ण चंद्र ग्रहण’ कहा जाता है।

पूर्ण चंद्र ग्रहण की खासियत: क्यों है यह ग्रहण विशेष

पूर्ण चंद्र ग्रहण का मतलब होता है कि चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में आ जाता है, जिससे उसका तेज कम हो जाता है और वह एक रक्तिम आभा लिए दिखाई देता है। इसे ‘ब्लड मून’ भी कहा जाता है। यह नजारा न सिर्फ खगोल प्रेमियों के लिए रोचक होगा, बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी इस घटना का विशेष महत्व माना गया है।

सूतक काल का निर्धारण: कब से लागू होंगी धार्मिक बंदिशें

हिंदू धर्म में ग्रहण के दौरान सूतक काल का विशेष महत्व होता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। अतः 7 सितंबर की दोपहर लगभग 12:58 बजे से ही सूतक काल प्रारंभ हो जाएगा। इस अवधि में मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं, पूजा-पाठ, भोजन और शुभ कार्यों से परहेज़ किया जाता है। विशेषकर गर्भवती महिलाओं को इस दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से क्या होंगे प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार, पूर्ण चंद्र ग्रहण का प्रभाव विभिन्न राशियों पर अलग-अलग तरीके से पड़ता है। कुछ राशियों के लिए यह समय आत्ममंथन और ध्यान का हो सकता है, वहीं कुछ के लिए मानसिक तनाव का कारण भी बन सकता है। ग्रहण के दौरान मंत्र जाप, ध्यान और शांति के उपाय करना शुभ माना गया है।

वैज्ञानिक नजरिया भी है अहम

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह चंद्र ग्रहण एक रोचक अनुभव होगा। खगोलशास्त्री और विज्ञान प्रेमी इस घटना का अवलोकन करने के लिए विशेष रूप से तैयार रहेंगे। यह एक ऐसा क्षण होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं, और चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है।

इस वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण न केवल एक अद्भुत खगोलीय घटना है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी इसका बड़ा महत्व है। सूतक काल से लेकर पूजा-विधान तक, हर पहलू इस दिन को विशेष बनाता है। ऐसे में यह जरूरी है कि लोग इस बारे में जागरूक रहें और उचित सावधानियां बरतें।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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