छठ पूजा 2025: आज मनाया जा रहा है खरना, मिट्टी के चूल्हे पर बनता है प्रसाद, जानें दूसरे दिन का महत्व

छठ पूजा 2025: आज मनाया जा रहा है खरना, मिट्टी के चूल्हे पर बनता है प्रसाद, जानें दूसरे दिन का महत्व
X

छठ पूजा का दूसरा दिन आज, खरना अनुष्ठान के साथ व्रत की शुरुआत

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला छठ पूजा का दूसरा दिन, जिसे ‘खरना’ कहा जाता है, आज पूरे भक्तिभाव के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन छठ पर्व के चार दिवसीय अनुष्ठान का सबसे महत्वपूर्ण चरण माना जाता है। खरना के दिन व्रती महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं और शाम के समय सूर्यास्त के बाद पूजा-अर्चना कर व्रत का संकल्प लेती हैं। यह व्रत आगामी दो दिनों तक पूरी श्रद्धा और शुद्धता के साथ जारी रहता है।

मिट्टी के चूल्हे पर बनता है पवित्र प्रसाद

खरना की सबसे विशेष परंपरा है मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद बनाना। व्रती इस दिन चूल्हे में आम की लकड़ी या गोबर के उपले जलाकर खीर, रोटी और गुड़ का प्रसाद तैयार करती हैं। इस प्रसाद को ‘खरना का भोग’ कहा जाता है। इसे बनाने से पहले पूरे घर की साफ-सफाई की जाती है और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। पूजा के बाद यह प्रसाद व्रती सबसे पहले ग्रहण करती हैं और फिर परिवार व आस-पड़ोस के लोगों में बांटा जाता है। यह प्रसाद सात्विकता, पवित्रता और आस्था का प्रतीक माना जाता है।

खरना से शुरू होती है छठी मैया की उपासना

खरना के बाद से ही व्रती सूर्य देव और छठी मैया की आराधना में पूरी तरह लीन हो जाते हैं। अगले दिन यानी तीसरे दिन संध्या काल में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जबकि चौथे दिन सुबह-सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर यह महापर्व पूर्ण होता है। इन चार दिनों तक चलने वाले व्रत में भोजन, जल और नींद का त्याग किया जाता है, जो श्रद्धा, संयम और आत्मबल का प्रतीक है।

छठ पर्व की पवित्रता और आध्यात्मिक महत्व

छठ पूजा को भारतीय संस्कृति में सबसे शुद्ध और कठोर व्रतों में से एक माना गया है। इस व्रत का उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा को पवित्र बनाना तथा सूर्य देव की उपासना के माध्यम से स्वास्थ्य, समृद्धि और संतोष की कामना करना है। माना जाता है कि खरना की रात व्रती की तपस्या का प्रारंभिक चरण होता है, जो उसे दिव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है।

लोक आस्था का पर्व जो जोड़ता है समाज और परिवार

खरना न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज और परिवार को जोड़ने वाला उत्सव भी है। शाम के समय जब व्रती पूजा संपन्न करती हैं, तब परिवार के सदस्य, रिश्तेदार और पड़ोसी प्रसाद ग्रहण करने के लिए एकत्र होते हैं। यह दृश्य भारतीय संस्कृति में पारस्परिक प्रेम, सहयोग और श्रद्धा की अद्भुत मिसाल पेश करता है।

छठ पूजा का दूसरा दिन खरना केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि आस्था और आत्मसंयम का उत्सव है। मिट्टी के चूल्हे पर बना प्रसाद, सूर्य को समर्पित उपासना और परिवार की एकजुटता इस पर्व को न केवल पवित्र बनाती है, बल्कि भारतीय परंपरा की आत्मा को भी जीवंत रखती है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

Tags:
Next Story
Share it