छठ पूजा 2025: 27 और 28 अक्टूबर को डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ संयोग, बन रहे हैं तीन शुभ योग

छठ पूजा 2025: 27 और 28 अक्टूबर को डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ संयोग, बन रहे हैं तीन शुभ योग
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कार्तिक मास की षष्ठी पर छठ महापर्व की धूम, डूबते और उगते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य

कार्तिक मास की षष्ठी तिथि पर आस्था और श्रद्धा का महापर्व छठ पूजा इस वर्ष 27 अक्टूबर (सोमवार) को संध्याकाल में डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर शुरू होगा। अगले दिन 28 अक्टूबर (मंगलवार) को भक्तजन उगते सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करेंगे और इसी के साथ यह चार दिवसीय व्रत संपन्न होगा। पूरे देश में, विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई इलाकों में, इस पर्व को हर्षोल्लास और गहरी भक्ति के साथ मनाया जाता है।

चार दिवसीय पर्व में होती है सूर्य और छठी मैया की आराधना

छठ पूजा का आरंभ कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होता है और षष्ठी तिथि तक चलता है। इन दिनों भक्त सूर्य देव और छठी मैया की आराधना करते हैं, जो स्वास्थ्य, समृद्धि और संतान सुख की प्रदायिनी मानी जाती हैं। व्रती महिलाएं इस दौरान कठोर नियमों का पालन करती हैं — बिना नमक का प्रसाद बनाना, उपवास रखना और सूर्यास्त तथा सूर्योदय के समय नदी या तालाब में खड़े होकर अर्घ्य देना इस पर्व की प्रमुख परंपराएं हैं।

रवि योग, सुकर्मा योग और कौलव करण का शुभ संयोग

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस वर्ष की छठ पूजा अत्यंत शुभ योगों में संपन्न हो रही है। कार्तिक शुक्ल षष्ठी को रवि योग, सुकर्मा योग और कौलव करण का संयोग बन रहा है। इन तीनों योगों का मिलना अत्यंत मंगलकारी माना जाता है। ऐसे योग में सूर्य देव को अर्घ्य देने से न केवल मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, बल्कि सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है। यह समय अध्यात्म, तप और भक्ति के दृष्टिकोण से अत्यंत फलदायी रहेगा।

सूर्य अर्घ्य से मिलते हैं आरोग्य और समृद्धि के वरदान

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव को अर्घ्य देने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, आरोग्य और मानसिक शांति प्राप्त होती है। माना जाता है कि सूर्य की किरणों के स्पर्श से व्यक्ति के शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में सुख-सौभाग्य का वास होता है। इसी कारण, छठ पर्व को “सूर्य उपासना का महापर्व” कहा जाता है।

आस्था का पर्व जो जोड़ता है परिवार और संस्कृति से

छठ पूजा सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह न केवल संयम, शुद्धता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है, बल्कि परिवारों को एक साथ जोड़ने का भी प्रतीक है। घाटों पर एक साथ पूजा-अर्चना, पारंपरिक गीत और लोककथाएं इस पर्व को भारतीय संस्कृति का जीवंत उत्सव बना देती हैं।

वर्ष 2025 की छठ पूजा विशेष ज्योतिषीय संयोगों में मनाई जाएगी। ऐसे शुभ समय में सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करने से साधक की हर इच्छा पूरी होती है और जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि का वास होता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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