चिकन नेक अब कमजोरी नहीं, भारत की युद्ध रणनीति का निर्णायक केंद्र बन गया है

भारत ने चिकन नेक को कमजोर कड़ी से निकालकर पूर्वोत्तर की सुरक्षा का सक्रिय और निर्णायक केंद्र बना दिया है

चिकन नेक अब कमजोरी नहीं, भारत की युद्ध रणनीति का निर्णायक केंद्र बन गया है
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नई दिल्ली. सिलिगुड़ी कॉरिडोर, जिसे आमतौर पर "चिकन नेक" कहा जाता है, अब सिर्फ मानचित्र पर खींची गई एक संकरी पट्टी नहीं रही। हाल के महीनों में यहां तीन नए सैन्य गारिसन के निर्माण और गुवाहाटी में भारतीय वायुसेना के प्रभावशाली प्रदर्शन ने इसे भारत की सबसे सक्रिय और महत्वपूर्ण रणनीतिक लाइफलाइन में बदल दिया है। साफ है, भारत ने अपनी सबसे बड़ी कमजोरी को अब ताकत में बदलने की ठानी है।


हाल ही में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इस कॉरिडोर को भारत का “सबसे मजबूत रक्षा गलियारा” बताया। जिस इलाके को कभी भारत का “चोक प्वाइंट” कहा जाता था, अब वही देश की रणनीतिक शक्ति का प्रतीक बन गया है।


शुरुआत करें गारिसनों से। बिहार के किशनगंज, असम के बामुनी और पश्चिम बंगाल के चोप्रा में नए सैन्य ठिकाने तैयार किए जा रहे हैं। ये ठिकाने केवल सैनिकों के आवास नहीं, बल्कि तेज प्रतिक्रिया, इंटेलिजेंस समन्वय और लोकल बॉर्डर फोर्स के साथ एकीकृत काम करने वाले नोड्स हैं। इनका उद्देश्य सिलिगुड़ी क्षेत्र की संवेदनशीलता को कम करना और पूरे पूर्वोत्तर संचालन को अधिक केंद्रीकृत और सक्षम बनाना है।


दूसरा पहलू है वायुसेना की सक्रिय उपस्थिति। गुवाहाटी में हाल में हुए वायुसेना के प्रदर्शन ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत ने पूर्वोत्तर के आसमान पर भी अपनी रणनीतिक पकड़ मजबूत कर ली है। यह सिर्फ सैन्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि एक रणनीतिक संकेत था कि हवाई रसद, आपूर्ति श्रृंखला और त्वरित बल प्रक्षेपण की दृष्टि से अब सिलिगुड़ी कॉरिडोर पूरी तरह सुरक्षित है।


तीसरा पहलू है भू-राजनीतिक परिदृश्य। सैटेलाइट रिपोर्ट्स से संकेत मिले हैं कि तिब्बत क्षेत्र में चीन ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम और मिसाइल साइलो के निर्माण को तेज किया है। ऐसे माहौल में भारत द्वारा चिकन नेक को एक गतिशील रक्षा हब में बदलना पूरी तरह रणनीतिक कदम है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में जवाब तेज और समन्वित हो सके।


चौथा पहलू है तकनीकी एकीकरण और एजेंसियों का समन्वय। नए गारिसन केवल बैरक नहीं हैं, वे स्थानीय स्तर पर इंटेलिजेंस, सिग्नल और रडार डेटा को रियल टाइम में प्रोसेस करने वाले केंद्र हैं। इससे निर्णय प्रक्रिया तेज होगी और सुरक्षा का ढांचा अधिक विकेंद्रीकृत बनेगा। इसका मतलब यह है कि एक ही बिंदु पर निर्भरता घटेगी और जवाबी विकल्प बढ़ेंगे।


पांचवां पहलू है सामरिक संदेश और कूटनीतिक चौकसी। चीन और पाकिस्तान की बढ़ती रक्षा साझेदारी के बीच भारत का यह कदम केवल सैन्य तैयारी नहीं बल्कि एक स्पष्ट संदेश है कि पूर्वोत्तर अब कोई कमजोर रेखा नहीं बल्कि देश की सुरक्षा का मजबूत किला बन चुका है।


कुल मिलाकर, चिकन नेक की नई तस्वीर तीन स्तंभों पर टिकी है – मजबूत गारिसन, ऊंची हवाई क्षमता और स्थानीय इंटेलिजेंस-रसद तंत्र। इन सबने मिलकर इसे भारत की रक्षा रणनीति का सक्रिय और निर्णायक केंद्र बना दिया है। अब यह इलाका जोखिम का नहीं, बल्कि शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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