जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण से बढ़ा चूहों-चमगादड़ों का संघर्ष, इंसानों के लिए खतरा
जलवायु परिवर्तन और मानव हस्तक्षेप से चमगादड़ और चूहों के बीच असंतुलन, वायरस फैलने का खतरा बढ़ा

जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण के कारण चूहों और चमगादड़ों के बीच संघर्ष तेज हो गया है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह पारिस्थितिक संतुलन के लिए गंभीर खतरा है। मानव-प्रवर्तित आवास और तापमान में उतार-चढ़ाव से यह संघर्ष बढ़ रहा है, जिससे इंसानों में वायरस फैलने का जोखिम भी बढ़ रहा है।
हाल ही में जर्मनी की दो शहरी हाइबरनेशन गुफाओं में हुई निगरानी में 50 से अधिक चमगादड़ों की लाशें पाई गईं। मिर्याम क्नॉनश्मिल्ड, म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री, बर्लिन के प्रमुख शोधकर्ता, ने बताया कि चूहे चमगादड़ों का तेजी से शिकार कर रहे हैं। छोटे चूहों की संख्या भी सालभर में हजारों चमगादड़ों को प्रभावित कर सकती है।
यूएस की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर रैना प्लोवराइट कहती हैं, "मानव-प्रवर्तित आवास चूहों को मजबूत बना रहे हैं और चमगादड़ों को कमजोर। यह केवल वन्य संघर्ष नहीं, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र और मानव स्वास्थ्य के लिए चेतावनी है।"
शहरीकरण ने इंसानों और वन्यजीवों के बीच संपर्क बढ़ा दिया है। चूहे मानव बस्तियों में और चमगादड़ शहरों में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे टकराव और वायरस फैलने का खतरा बढ़ रहा है। न्यूज़ीलैंड में ग्रेटर शॉर्ट टेल्ड बैट की विलुप्ति भी जहाजी चूहों के कारण हुई थी।
जलवायु परिवर्तन, आवास क्षरण और मानव हस्तक्षेप के कारण पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस असंतुलन को रोकने के लिए इंसानों को वन्यजीव संरक्षण और शहरी नियोजन पर ध्यान देना होगा।
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