कोडीन कांड में पिता की गिरफ्तारी के बाद शुभम जयवासवाल की प्रत्यर्पण प्रक्रिया तेज
कोलकाता एयरपोर्ट से पिता की गिरफ्तारी के बाद जांच टीम ने यूएई से शुभम को भारत लाने की तैयारी तेज की और नेटवर्क की जड़ों को खंगालने पर जोर बढ़ाया

कोडीन आधारित कफ सिरप की तस्करी का मामला जितना सरल लगता था उतना रहा नहीं। जांच एजेंसियां कार्रवाई को लेकर पहले से ज्यादा सतर्क और एग्रेसिव दिखाई दे रही हैं। इसी हफ्ते कोलकाता एयरपोर्ट से सिंडिकेट के कथित सरगना शुभम जायसवाल के पिता की गिरफ्तारी के बाद जांच टीम अब शुभम को यूएई से वापस लाने की तैयारी में जुट गई है और यह कदम इस पूरे मामले को नई दिशा दे सकता है।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक वाराणसी में कोडीन तस्करी की कड़ियों को सुलझाने में जुटी विशेष जांच टीम के प्रमुख और एडीसीपी काशी टी सरवनन ने बताया कि प्रदेश भर में चल रही जांच के सभी सूत्रों में समानता और शामिल लोगों की पहचान के लिए शनिवार को अधिकारियों की समन्वय बैठक हुई। इस बैठक में यह समझने की कोशिश हुई कि राज्य में अलग अलग स्थानों पर पकड़ी गई खेपों का आपस में क्या संबंध हो सकता है और कफ सिरप की खरीद से लेकर सप्लाई तक किस रास्ते से यह माल बाहर भेजा जा रहा था। खास बात यह कि बातचीत का बड़ा हिस्सा बांग्लादेश जैसे देशों में इस सिरप की अवैध सप्लाई पर केंद्रित रहा।
जांच में अब तक अट्ठाईस से ज्यादा फार्मा कंपनियों के नाम सामने आ चुके हैं जिन पर सिरप की आपूर्ति में संदेह व्यक्त किया गया है। अधिकारियों ने माना कि यह किसी एक व्यक्ति का नेटवर्क नहीं बल्कि कई स्तरों पर चल रही एक संगठित मशीनरी है जो लंबे समय से सक्रिय रही। शुभम के विदेश में छिपे होने की पुष्टि के बाद अब उसकी प्रत्यर्पण प्रक्रिया आगे बढ़ाने पर सभी की सहमति बनी।
टी सरवनन ने बताया कि जांच की शुरुआत 18 नवंबर को तब तेज हुई जब वाराणसी में एफआईआर दर्ज होने के बाद एसआईटी गठित की गई। इसके अगले ही दिन एफएसडीए, पुलिस और एएनटीएफ की संयुक्त टीम ने रोहनिया थाना क्षेत्र के भदवर इलाके में स्थित एक गोदाम पर छापा मारा और वहां से कोडीन कफ सिरप की 93,750 बोतलें बरामद कीं। यह खेप करीब एक करोड़ छियानबे लाख रुपये की बताई गई। इतनी बड़ी मात्रा में बोतलें मिलने से साफ हो गया कि यह किसी छोटे गिरोह का मामला नहीं बल्कि कई राज्यों में फैले एक नेटवर्क की गतिविधि है।
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि शुभम की वापसी के बाद यह जांच कितनी दूर तक जाएगी। क्या इससे उन लोगों तक भी पहुंचा जा सकेगा जिनके नाम अभी सामने नहीं आए हैं या जो पर्दे के पीछे से इस नेटवर्क को सहायता देते रहे। जांच टीम का दावा है कि मौजूदा साक्ष्य काफी मजबूत हैं और आगे की कार्रवाई नेटवर्क की बाकी कड़ियों को उजागर कर सकती है।
आगे की राह आसान नहीं होगी, पर एजेंसियां मान रही हैं कि अगर इस केस को पूरी तरह खोला गया तो प्रदेश में दवा आधारित तस्करी पर लगाम लगाने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है।
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