शनि‍वार 18 अक्टूबर को मनाई जाएगी धनतेरस, जानें पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त

शनि‍वार 18 अक्टूबर को मनाई जाएगी धनतेरस, जानें पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त
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धनतेरस: दिवाली महापर्व की शुरुआत

हिंदू धर्म में दिवाली का पर्व पांच दिनों तक बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसकी शुरुआत धनतेरस से होती है, जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। यह उत्सव न केवल धन और ऐश्वर्य का प्रतीक है, बल्कि स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के साथ इसे पूरे श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि का विशेष धार्मिक और आयुर्वेदिक महत्व है।

पूजा का महत्व और पूजित देवता

धनतेरस पर तीन प्रमुख देवताओं की पूजा की जाती है। इनमें भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद और स्वास्थ्य का अधिष्ठाता माना जाता है। माता लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी के रूप में पूजते हैं, जबकि कुबेर देव को धन के संरक्षक और खजाने के स्वामी की उपाधि प्राप्त है। इस दिन दीपदान और नई वस्तुओं की खरीददारी शुभ मानी जाती है, खासकर बर्तन, सोना-चांदी या कोई कीमती सामान।

तिथि और मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष 2025 में यह तिथि शनिवार, 18 अक्टूबर को पड़ रही है। त्रयोदशी तिथि का आरंभ 18 अक्टूबर को दोपहर 12:18 बजे होगा और इसका समापन 19 अक्टूबर को दोपहर 1:51 बजे होगा। चूंकि उदयातिथि का विशेष महत्व है और सूर्योदय के समय त्रयोदशी तिथि विद्यमान रहेगी, इसलिए धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा।

परंपराएं और मान्यताएं

इस दिन घर-घर में दीप जलाने की परंपरा है। मान्यता है कि दीपदान करने से यमराज प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। साथ ही इस दिन खरीदी गई वस्तुएं घर में शुभता, धन और स्वास्थ्य का आशीर्वाद लाती हैं। धनतेरस पर विशेष रूप से घर की साफ-सफाई और सजावट करने का भी महत्व है, ताकि घर में लक्ष्मी जी का आगमन हो सके।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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