गंगा दशहरा 2025, कब है गंगा अवतरण का पर्व? जानें महादेव को प्रसन्न करने वाला यह शुभ दिन और उसका महत्व

गंगा दशहरा 2025, कब है गंगा अवतरण का पर्व? जानें महादेव को प्रसन्न करने वाला यह शुभ दिन और उसका महत्व
X

गंगा अवतरण का पावन पर्व, जो हर दुख को करता है समाप्त

गंगा दशहरा वह पावन अवसर है जब मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। 2025 में यह दिव्य पर्व ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन गंगाजल के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी कष्टों और दोषों का नाश हो जाता है। विशेष रूप से यदि इस दिन गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक किया जाए, तो साधक को मनचाही सिद्धि और शांति प्राप्त होती है।

गंगाजल से शिव अभिषेक का महत्व

सनातन धर्म में गंगाजल को अत्यंत पवित्र और मोक्षदायक माना गया है। यह केवल जल नहीं, बल्कि दिव्यता का प्रतीक है। धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि जब कोई श्रद्धालु गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करता है, तो उसे समस्त पापों से मुक्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। विशेषकर यदि यह अभिषेक सोमवार या गंगा दशहरा जैसे पुण्य तिथि पर किया जाए, तो इसका फल और अधिक प्रभावशाली होता है।

गंगा दशहरा 2025 में विशेष योग: सिद्धि योग और रवि योग का संयोग

इस वर्ष गंगा दशहरा के दिन सिद्धि योग का शुभ संयोग प्रातः 9:14 बजे तक रहेगा, जिसके पश्चात रवि योग पूरे दिन प्रभावी रहेगा। ये दोनों ही योग किसी भी साधना, पूजा और स्नान के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इन विशेष योगों में गंगा स्नान, दान और पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में बाधाएं समाप्त होती हैं और मानसिक, भौतिक एवं आध्यात्मिक समृद्धि प्राप्त होती है।

कैसे करें गंगा दशहरा पर पूजा?

इस दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले गंगा स्नान या घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। उसके बाद भगवान शिव की पूजा करें। जल में दूध, बेलपत्र, धतूरा और शहद मिलाकर शिवलिंग पर अभिषेक करें। साथ ही "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जप करें। देवी गंगा की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक जलाकर धूप, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करें। इसके बाद निर्धनों को वस्त्र, अन्न और जल का दान करें।

गंगा दशहरा—सिर्फ पर्व नहीं, आत्मशुद्धि का महान अवसर

गंगा दशहरा न केवल मां गंगा की स्तुति का दिन है, बल्कि यह स्वयं को पवित्र करने, पुराने कर्मों से मुक्ति पाने और ईश्वर की कृपा प्राप्त करने का भी शुभ अवसर है। 2025 में जब यह पर्व सिद्धि और रवि योग जैसे संयोगों के साथ आ रहा है, तब इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इसलिए इस दिन श्रद्धा और नियमपूर्वक गंगाजल से शिव अभिषेक अवश्य करें और अपने जीवन को नव ऊर्जा और पुण्य से भर दें।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

Tags:
Next Story
Share it