GPT 5.2 ने बदला खेल, AI अब इंसानी प्रोफेशनल्स के बराबर काम करने लगा
ओपनएआई का दावा, नया GPT वर्जन एआई अब सिर्फ जवाब देने वाला टूल नहीं रहा, बल्कि प्रोफेशनल कामों में इंसानों की जगह लेने के करीब पहुंच गया है

एआई को लेकर पुरानी सोच को चुनौती
अब तक एआई को एक सहायक की तरह देखा जाता था जो सुझाव देता है और अंतिम फैसला इंसान करता है। ओपनएआई के नए मॉडल जीपीटी 5.2 ने इसी धारणा को सीधी चुनौती दी है। कंपनी का कहना है कि यह सिस्टम अब ऐसे काम कर रहा है जिनके लिए पहले प्रोफेशनल अनुभव और इंसानी समझ को जरूरी माना जाता था।
लंबे और जटिल कामों में निरंतरता
ओपनएआई के मुताबिक जीपीटी 5.2 को इस तरह विकसित किया गया है कि वह लंबे और जटिल टास्क के दौरान भी फोकस बनाए रखता है। कोडिंग की गलतियां पकड़ना, पूरा सॉफ्टवेयर फीचर तैयार करना, कई फाइलों वाले प्रोजेक्ट को एक साथ संभालना या भारी रिसर्च दस्तावेज पढ़कर संदर्भ न खोना अब इसकी प्रमुख क्षमताओं में गिना जा रहा है। कंपनी का दावा है कि बार बार निर्देश देने की जरूरत काफी कम हो गई है।
प्रोफेशनल बेंचमार्क में प्रदर्शन
इन दावों के समर्थन में ओपनएआई ने आंकड़े भी पेश किए हैं। GDPval बेंचमार्क में 44 प्रोफेशनल भूमिकाओं पर जीपीटी 5.2 को परखा गया। इसमें फाइनेंस, इंजीनियरिंग, डिजाइन और लीगल रिसर्च जैसे क्षेत्र शामिल थे। थिंकिंग वर्जन ने 70.9 प्रतिशत टास्क में इंसानी प्रोफेशनल्स के बराबर या उनसे बेहतर प्रदर्शन किया। यह पुराने जीपीटी 5 मॉडल की तुलना में लगभग दोगुना सुधार बताया गया है।
संवेदनशील कामों में भरोसे का दावा
टेलीकॉम सपोर्ट जैसे जटिल और संवेदनशील कार्यों को मापने वाले Tau2 बेंचमार्क में भी जीपीटी 5.2 ने 98.7 प्रतिशत एक्यूरसी हासिल की है। इसका संकेत यह माना जा रहा है कि एआई अब सिर्फ तेज नहीं बल्कि भरोसेमंद फैसलों की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है।
तीन वर्जन और अलग जरूरतें
जीपीटी 5.2 को तीन अलग उपयोग के हिसाब से पेश किया गया है। इंस्टैंट वर्जन रोजमर्रा के यूजर्स के लिए है जहां तेज और सीधे जवाब अहम होते हैं। थिंकिंग वर्जन गहराई वाले कामों के लिए तैयार किया गया है जैसे रिसर्च या कानूनी दस्तावेजों की समीक्षा। प्रो वर्जन बड़े संगठनों के लिए है जो एआई को अपने पूरे वर्कफ्लो का हिस्सा बनाना चाहते हैं।
कामकाज की दुनिया पर असर
इस लॉन्च के साथ सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगर एआई प्रोफेशनल कामों में इंसानों के बराबर पहुंच रहा है तो काम करने का तरीका कैसे बदलेगा। जीपीटी 5.2 को लेकर ओपनएआई के दावे वक्त की कसौटी पर खरे उतरते हैं या नहीं यह आगे साफ होगा। फिलहाल इतना तय दिखता है कि एआई और इंसान के बीच की दूरी तेजी से घट रही है।

