चैत्र पूर्णिमा पर मनाया जा रहा हनुमान जन्मोत्सव, जानिए क्यों लेना पड़ा पंचमुखी अवतार और क्या है उनकी उपासना का महत्व

चैत्र पूर्णिमा पर मनाया जा रहा हनुमान जन्मोत्सव, जानिए क्यों लेना पड़ा पंचमुखी अवतार और क्या है उनकी उपासना का महत्व
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हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष: चैत्र पूर्णिमा का पावन दिन और पंचमुखी अवतार का रहस्य

हर वर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में पूरे देशभर में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस बार यह पावन पर्व 12 अप्रैल को पड़ रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी का जन्म इसी दिन माता अंजना और केसरी नंदन के रूप में हुआ था। भगवान शिव के अंशावतार माने जाने वाले हनुमान जी को कलियुग में जीवित देवता अर्थात 'प्रत्यक्ष देव' कहा गया है। यही कारण है कि आज के समय में उनकी पूजा सबसे अधिक प्रभावशाली मानी जाती है।

हनुमान जी को 'चिरंजीवी' होने का वरदान प्राप्त है। स्कंद पुराण सहित कई ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि हनुमान जी को अमरत्व का आशीर्वाद मिला है और वे आज भी जीवित हैं। भक्तों का विश्वास है कि जब भी कोई सच्चे मन से संकटमोचन को पुकारता है, वे अवश्य उसकी सहायता करते हैं। यही वजह है कि हनुमान जी की उपासना विशेष रूप से मंगलकारी, भय नाशक और कष्टों से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती है।

पंचमुखी हनुमान का रहस्य: कब और क्यों लिया यह रूप?

हनुमान जी का पंचमुखी स्वरूप भी धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस रूप का उल्लेख रामायण के लंका कांड में मिलता है। जब रावण का भाई अहिरावण भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को पाताल लोक ले गया, तब उन्हें मुक्त कराने के लिए हनुमान जी को पंचमुखी रूप धारण करना पड़ा। उन्होंने उत्तर दिशा में नरसिंह, दक्षिण में गरुड़, पूर्व में वराह, पश्चिम में हयग्रीव और स्वयं वानर मुख के साथ पांचों दिशाओं में एकसाथ शक्ति प्रकट की। यही पंचमुखी हनुमान का रूप कहलाता है।

इस रूप में हनुमान जी ने पाताल लोक के सारे दीप एक साथ बुझाकर अहिरावण का वध किया और श्रीराम-लक्ष्मण को मुक्त कराया। इसलिए पंचमुखी हनुमान का पूजन विशेष रूप से संकट निवारण और रक्षा के लिए किया जाता है।

हनुमान उपासना का विशेष महत्व: कलियुग के प्रभाव से मुक्ति का मार्ग

हिंदू धर्म में हनुमान जी को कलियुग के सबसे प्रभावशाली और सुलभ देवता माना गया है। कहा जाता है कि इस युग में जहां पाप, तनाव और असुरक्षा बढ़ रही है, वहां हनुमान जी की भक्ति व्यक्ति को मानसिक बल, साहस, ऊर्जा और आत्मिक शक्ति प्रदान करती है। हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और बजरंग बाण का पाठ करने से जीवन में स्थिरता और शांति प्राप्त होती है।

हनुमान जन्मोत्सव के दिन व्रत, हवन, भजन-कीर्तन और सुंदरकांड का आयोजन विशेष पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन सुबह स्नान करके लाल या केसरिया वस्त्र पहनकर श्रीराम और हनुमान जी की पूजा करें, और हनुमान चालीसा का पाठ करके हनुमान जी को बूंदी के लड्डू और तुलसी पत्र अर्पित करें।

हनुमान जन्मोत्सव केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि आत्मबल और श्रद्धा का प्रतीक है। यह दिन हमें सिखाता है कि कठिन से कठिन समय में भी साहस, सेवा और विश्वास से हर बाधा को पार किया जा सकता है। संकट मोचन हनुमान का जीवन और उनका पंचमुखी रूप आज भी हर भक्त को ऊर्जा और प्रेरणा देता है। ऐसे में इस जन्मोत्सव पर उनके चरित्र से प्रेरणा लेना और उन्हें सच्चे मन से याद करना, हर भक्त के लिए एक नई आशा की किरण बन सकता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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