रूसी तेल और बाजार दबाव के बीच भारत अमेरिका डील फाइनल होने की कगार पर?

अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि भारत अमेरिका के बीच पारस्परिक व्यापार वार्ता में हालिया दिनों में उम्मीद से ज्यादा प्रगति दिखी है

रूसी तेल और बाजार दबाव के बीच भारत अमेरिका डील फाइनल होने की कगार पर?
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रिपोर्ट्स की मानी जाए तो भारत और अमेरिका के बीच चल रही ट्रेड वार्ता इस वक्त निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने माना है कि पारस्परिक व्यापार समझौते को लेकर हाल के हफ्तों में काफी सकारात्मक कदम सामने आए हैं. बातचीत का फोकस India US trade deal और रूसी तेल को लेकर अमेरिका की चिंताओं पर रहा है और अधिकारी के शब्दों में इस बार बातचीत पहले से कहीं ज्यादा रफ्तार पकड़ चुकी है.

अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक दोनों देशों के बीच दो समानांतर मुद्दे चल रहे हैं. पहला पुराना विषय है जिसे पारस्परिक व्यापार वार्ता कहा जाता है. इसमें आमतौर पर मार्केट एक्सेस, टैरिफ और निवेश से जुड़े बिंदुओं पर सहमति बनाई जाती है. दूसरा मुद्दा रूस से आने वाले तेल पर भारत की खरीदारी से जुड़ा है जिस पर पश्चिमी देशों की अलग तरह की अपेक्षाएं रही हैं. अधिकारी ने कहा कि हाल के दिनों में वैश्विक तेल बाजार में कुछ सुधार देखने को मिला है जिससे वार्ता का तनाव थोड़ा हल्का हुआ है और अब बातचीत ज्यादा रचनात्मक माहौल में चल रही है.

प्रगति आखिर किस बात की

2025 के व्यापार माहौल में अमेरिका विशेष रूप से भारत के साथ बाजार संतुलन की तलाश में है. इस बीच भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उसके निर्यात पर कोई अतिरिक्त बोझ न पड़े और नए कर नियम उसकी इंडस्ट्री पर दबाव न डालें. दोनों देशों के अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि कृषि, फार्मा, डिजिटल सेवाओं और ऊर्जा सुरक्षा से जुड़े मुद्दे वार्ता के केंद्र में हैं. कई सूत्रों के मुताबिक अगर मौजूदा रफ्तार बरकरार रही तो India US trade deal इस साल के आखिरी महीनों में किसी नतीजे पर पहुंच सकता है.

इसके साथ ही रूसी तेल की खरीद को लेकर भी बातचीत में नरमी आई है. अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि बाजार की मौजूदा स्थिति पहले से बेहतर है और भारत की ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए बहुत ज्यादा दबाव डालना अब व्यावहारिक नहीं लगता. यह भी बताया गया कि दोनों पक्ष एक संतुलित समाधान खोज रहे हैं जिसमें भारत की ऊर्जा सुरक्षा और अमेरिका की रणनीतिक चिंताएं दोनों का ख्याल रखा जाए.

अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर नजर रखने वाले विश्लेषक मानते हैं कि मौजूदा दौर में भारत और अमेरिका दोनों ही एक स्थिर व्यापार साझेदारी चाहते हैं. bilateral trade, market access और energy diplomacy इस चर्चा के मुख्य आधार बनते दिख रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक डिजिटल व्यापार नियम, मेडिकल डिवाइस मार्केट और टैरिफ कटौती जैसे मुद्दे अगर हल हो जाते हैं तो आने वाले महीनों में व्यापार संबंध नई ऊंचाई पर पहुंच सकते हैं.

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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