झारखंड: बिजली उपभोक्ताओं को लग सकता है तगड़ा झटका! दरों में 60 फीसदी बढ़ोतरी का प्रस्ताव

झारखंड में बिजली दरों को बढ़ाने के लिए जेबीवीएनएल ने टैरिफ पिटीशन में 60 फीसदी बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया। पूरी जानकारी यहां पढ़ें।

झारखंड: बिजली उपभोक्ताओं को लग सकता है तगड़ा झटका! दरों में 60 फीसदी बढ़ोतरी का प्रस्ताव
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रांची. झारखंड में बिजली दरें बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। झारखंड बिजली वितरण निगम जेबीवीएनएल ने वर्ष 2026 27 के लिए विद्युत नियामक आयोग के पास टैरिफ पिटीशन दायर की है। निगम ने करीब साठ प्रतिशत तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया और घरेलू उपभोक्ताओं से लेकर औद्योगिक उपभोक्ताओं तक सभी श्रेणियों में बदलाव की मांग रखी। आयोग ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है, हालांकि अंतिम फैसला जनसुनवाई और विचार प्रक्रिया के बाद ही होगा।


प्रस्ताव के मुताबिक शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए प्रति यूनिट दर छह रुपये पचासी पैसे से बढ़ाकर दस रुपये तीस पैसे करने की मांग है। ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं के लिए यह दर छह रुपये सत्तर पैसे से बढ़ाकर दस रुपये बीस पैसे तय करने का प्रस्ताव रखा गया है। औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए दर नौ रुपये दस पैसे करने का सुझाव दिया गया है। फिक्स्ड चार्ज में भी बढ़ोतरी का अनुरोध किया गया है।


निगम ने पिटीशन में अपनी दलील रखते हुए कहा कि ट्रांसफॉर्मर रखरखाव, स्मार्ट मीटर लगाने और लाइन लॉस कम करने के लिए बड़े निवेश की जरूरत है। जेबीवीएनएल हर वर्ष बिजली और मेंटेनेंस पर लगभग बारह हजार करोड़ रुपये खर्च करता है लेकिन आमदनी छह से सात हजार करोड़ रुपये के बीच ही रह जाती है। निगम का कहना है कि इस घाटे को संतुलित करने के लिए दर संशोधन जरूरी है।


गौरतलब है कि जेबीवीएनएल हर साल तीस नवंबर को टैरिफ प्रस्ताव दाखिल करता है, पर इस बार रविवार की वजह से पिटीशन एक दिसंबर को दाखिल हुई। आयोग प्रस्ताव की समीक्षा करेगा और फिर जनसुनवाई कर अंतिम दरें तय करेगा। यह प्रक्रिया करीब चार महीने चलने की उम्मीद है।


पिछले वित्तीय वर्ष में भी निगम ने बड़ी बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा था, पर आयोग ने शहरी उपभोक्ताओं के लिए केवल पच्चीस पैसे प्रति यूनिट बढ़ोतरी को ही मंजूरी दी थी।


इस बार टाटा स्टील पावर कंपनी, जुस्को, झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड, आधुनिक पावर और इनलैंड पावर ने भी अपनी अपनी टैरिफ पिटीशन दाखिल की है। इन कंपनियों ने दस से तीस प्रतिशत तक की बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा है।


दिलचस्प बात यह है कि इस बार टैरिफ फाइलिंग बिना सीएमडी और एमडी की औपचारिक अनुमति के हुई। ऊर्जा सचिव, उर्जा विकास निगम के सीएमडी और जेबीवीएनएल के एमडी के पद पिछले दो माह से खाली हैं। अविनाश कुमार के मुख्य सचिव बनने के बाद यह स्थिति बनी हुई है।

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