11 जून को पड़ेगी ज्येष्ठ पूर्णिमा, जानिए इस पावन तिथि का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

11 जून को पड़ेगी ज्येष्ठ पूर्णिमा, जानिए इस पावन तिथि का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
X

हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि एक अत्यंत पावन और पुण्यकारी अवसर होती है। इस वर्ष 2025 में यह तिथि 11 जून को पड़ रही है और इसका धार्मिक तथा ज्योतिषीय दोनों ही दृष्टिकोण से गहरा महत्व है।

पूर्णिमा तिथि वह दिन होता है जब चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं में दिखाई देता है। यह दिन मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और धर्म-संस्कारों के पालन के लिए अत्यंत उपयुक्त माना गया है। ज्येष्ठ पूर्णिमा विशेष रूप से गंगा स्नान, व्रत, दान-पुण्य और चंद्रमा की आराधना के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और जन्म-जन्मांतर के बंधन कट जाते हैं।

ज्योतिष के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा का प्रभाव

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा की स्थिति मन और भावनाओं पर गहरा प्रभाव डालती है। चंद्रमा मन का स्वामी माना गया है और पूर्णिमा के दिन यह अपनी उच्च ऊर्जा पर होता है। इसलिए यह दिन मानसिक तनाव से मुक्ति, आत्मशुद्धि और ध्यान-योग के लिए सर्वोत्तम होता है।

इस वर्ष की ज्येष्ठ पूर्णिमा पर विशेष योग भी बन रहे हैं, जो इसे और अधिक फलदायी बनाते हैं। चंद्रमा का वृश्चिक राशि में गोचर और कुछ शुभ नक्षत्रों का संयोग इसे तप, जप, दान और व्रत के लिए अत्यंत श्रेष्ठ बनाता है।

धार्मिक अनुष्ठान और पूजन विधि

इस दिन व्रत रखने वाले भक्त प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करते हैं, विशेषकर गंगा स्नान का अत्यधिक महत्व है। तत्पश्चात चंद्रदेव की पूजा की जाती है। चावल, दूध, मिश्री और सफेद पुष्प अर्पित करके चंद्रमा को अर्घ्य देना शुभ माना गया है।

व्रतधारी दिनभर फलाहार करके संध्या समय चंद्रदर्शन कर व्रत का पारण करते हैं। इस दिन गरीबों को शक्कर, चावल, वस्त्र और जलदान करना अति पुण्यदायक होता है।

11 जून 2025 को शुभ मुहूर्त और तिथि विवरण

🔹 पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 10 जून 2025, शाम 05:16 बजे से

🔹 पूर्णिमा तिथि समाप्त: 11 जून 2025, शाम 06:50 बजे तक

🔹 चंद्र पूजन का श्रेष्ठ समय: रात्रि 08:00 से 09:15 बजे तक

🔹 गंगा स्नान का पुण्य काल: सुबह 04:45 से 07:30 बजे तक

ज्येष्ठ पूर्णिमा का सामाजिक और आध्यात्मिक संदेश

यह तिथि केवल आध्यात्मिक लाभ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज सेवा, दान और आत्मचिंतन का भी श्रेष्ठ अवसर होती है। व्रत, ध्यान और सेवा के माध्यम से यह दिन हमें स्वयं के भीतर की शुद्धता को जागृत करने का अवसर देता है।

यदि आप जीवन में मानसिक स्थिरता, आध्यात्मिक उत्थान और चंद्रमा की कृपा पाना चाहते हैं, तो इस ज्येष्ठ पूर्णिमा पर अवश्य पूजा और साधना करें।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

Tags:
Next Story
Share it