कालाष्टमी व्रत आज, 21 अप्रैल को होगा काल भैरव का पूजन, जानें तिथि, महत्व और शुभ मुहूर्त

कालाष्टमी व्रत आज, 21 अप्रैल को होगा काल भैरव का पूजन, जानें तिथि, महत्व और शुभ मुहूर्त
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हिंदू धर्म में प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत रखने की परंपरा है। इस बार कालाष्टमी व्रत आज 21 अप्रैल 2025, सोमवार को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान शिव के उग्र और रौद्र स्वरूप—काल भैरव की उपासना को समर्पित होता है। मान्यता है कि काल भैरव की आराधना से व्यक्ति की सभी बाधाएं दूर होती हैं और उसे भयमुक्त, सुखमय जीवन का वरदान प्राप्त होता है।

भगवान भैरव के तीन स्वरूपों की होती है आराधना, इस दिन काल भैरव की पूजा विशेष फलदायी

शिव पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान भैरव के मुख्यतः तीन रूप माने गए हैं—काल भैरव, बटुक भैरव और स्वर्णाकर्षण भैरव। हालांकि कालाष्टमी के दिन काल भैरव की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। उनका यह स्वरूप समय और मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाला है। जो श्रद्धालु सच्चे मन से इस दिन उनका स्मरण करते हैं, उनके जीवन से नकारात्मक ऊर्जा और भय का अंत हो जाता है।

काल भैरव की कृपा से दूर होती हैं जीवन की समस्त समस्याएं

काल भैरव को 'न्याय के देवता' भी कहा जाता है। वे धर्म और अधर्म का तत्काल निर्णय करते हैं। उनकी आराधना से न केवल मानसिक तनाव और शत्रु बाधा समाप्त होती है, बल्कि आर्थिक संकट भी दूर होता है। कालाष्टमी पर की गई भैरव उपासना से भूत-प्रेत बाधा, कर्ज़, रोग, और दरिद्रता का नाश होता है।

कालाष्टमी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

21 अप्रैल को सूर्योदय से पहले स्नान कर व्रत का संकल्प लें। भगवान काल भैरव की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं, काले तिल, सरसों के तेल, नारियल, धूप-दीप और मदिरा आदि अर्पित करें। रात्रि जागरण और भैरव चालीसा अथवा "ॐ कालभैरवाय नमः" मंत्र का जाप विशेष फलदायी होता है। पूजा का उत्तम समय रात्रि 12 बजे के आसपास माना जाता है, क्योंकि यह काल भैरव का जागृत काल होता है।

कालाष्टमी का व्रत और तंत्र साधना में विशेष महत्व

तंत्र शास्त्रों के अनुसार भी कालाष्टमी की रात तांत्रिक साधना के लिए अत्यंत उपयुक्त होती है। साधक इस दिन विशेष सिद्धियाँ प्राप्त करने हेतु काल भैरव की विशेष साधना करते हैं। यह दिन साधकों के लिए आत्मशक्ति, रक्षा कवच निर्माण और कार्य सिद्धि का दिन माना गया है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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