कालाष्टमी 2025: भगवान भैरव की आराधना से दूर होंगे सभी संकट, जानें महत्व और पूजा विधि

कालाष्टमी 2025: भगवान भैरव की आराधना से दूर होंगे सभी संकट, जानें महत्व और पूजा विधि
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कालाष्टमी का धार्मिक महत्व

हिंदू परंपरा में प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के उग्र स्वरूप काल भैरव की विशेष पूजा-अर्चना का विधान है। मान्यता है कि इस व्रत और पूजा से जीवन के समस्त कष्ट और बाधाएं समाप्त हो जाती हैं तथा घर-परिवार में सुख-शांति का वास होता है।

भगवान काल भैरव की उपासना

कालाष्टमी पर भक्तजन प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लेते हैं और भगवान काल भैरव की पूजा करते हैं। इस दिन मंदिरों में विशेष भैरव आरती और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। भक्त भैरव जी को मदिरा, तेल और काले तिल का भोग लगाते हैं। ऐसा माना जाता है कि उनकी कृपा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और जीवन के संकट स्वतः ही दूर हो जाते हैं।

तंत्र साधना और ज्योतिषीय उपाय

कालाष्टमी का दिन तंत्र साधकों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। तांत्रिक साधक इस दिन विशेष अनुष्ठान और साधना करके सिद्धियां प्राप्त करते हैं। वहीं ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि इस दिन यदि कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो व्यक्ति के जीवन से दोष और बाधाएं दूर हो सकती हैं। जैसे काले कुत्ते को भोजन कराना, सरसों का तेल दान करना या फिर काल भैरव चालीसा का पाठ करना शुभ फलदायी होता है।

कालाष्टमी व्रत का लाभ

जो भी भक्त श्रद्धा और आस्था के साथ कालाष्टमी का व्रत करता है, उसके जीवन से नकारात्मक शक्तियां समाप्त हो जाती हैं। साथ ही धन-समृद्धि, साहस और सफलता प्राप्त होती है। इस व्रत को करने से पितृदोष और शनि दोष जैसे ग्रह संबंधी कष्ट भी कम हो जाते हैं।

कालाष्टमी का पर्व हर महीने आने वाला वह पावन अवसर है, जब भक्त भगवान भैरव की पूजा करके जीवन को भयमुक्त और सुखमय बना सकते हैं। इस दिन की साधना विशेष रूप से संकट निवारण और आत्मबल प्राप्त करने के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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