केदारनाथ धाम के कपाट हुए बंद: ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना हुई बाबा केदार की डोली, जानें शीतकालीन पूजा व्यवस्था

केदारनाथ धाम के कपाट हुए बंद, बाबा केदार की डोली पहुंची ऊखीमठ
हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक केदारनाथ धाम के कपाट इस वर्ष भाई दूज के पावन अवसर पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में शामिल इस धाम में वैदिक मंत्रोच्चार और विशेष पूजा-अर्चना के बीच परंपरागत विधि से कपाट बंद किए गए। अब अगले छह महीनों तक बाबा केदार की शीतकालीन पूजा ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में संपन्न होगी। हर साल की तरह इस बार भी जब मंदिर के कपाट बंद हुए, तो पूरा परिसर “जय केदार” के उद्घोष से गूंज उठा। श्रद्धालुओं ने अश्रुपूर्ण विदाई दी और बाबा केदार की पंचमुखी भोगमूर्ति को चल विग्रह डोली में सजाकर ऊखीमठ के लिए रवाना किया गया।
शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ का ओंकारेश्वर मंदिर बनेगा आस्था का केंद्र
कपाट बंद होने के साथ ही बाबा केदार की उपासना का केंद्र अब ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर बन गया है। यहीं पर आगामी छह महीनों तक दैनिक पूजन, अभिषेक और आरती की व्यवस्था रहेगी। यह मंदिर न केवल बाबा केदारनाथ का शीतकालीन गद्दीस्थल है, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए उतना ही पवित्र माना जाता है जितना कि स्वयं केदारनाथ धाम। हर वर्ष सर्दियों में भारी बर्फबारी और मौसम की कठोरता के कारण केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, ताकि देवता की पूजा-अर्चना सुचारु रूप से ऊखीमठ में जारी रह सके। यह परंपरा सदियों से निरंतर चली आ रही है और आज भी उसी श्रद्धा के साथ निभाई जाती है।
धार्मिक अनुष्ठानों के साथ सम्पन्न हुआ कपाट बंद समारोह
कपाट बंद होने से पहले भगवान केदारनाथ का विशेष रुद्राभिषेक, महाआरती और भोग अर्पण किया गया। इसके बाद मंदिर परिसर में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कपाटों को विधि-विधानपूर्वक बंद किया गया। पुजारियों और रावल ने पारंपरिक रूप से भगवान के चरणों में आहुति दी और फिर बाबा की डोली को पुष्पों से सुसज्जित किया गया। जैसे ही डोली ने मंदिर परिसर छोड़ा, वातावरण भक्तिमय भावनाओं से भर गया। स्थानीय लोग और तीर्थयात्री बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद अगले दर्शन की प्रतीक्षा में विदा हुए।
चारधाम यात्रा के समापन के साथ शुरू हुआ शीतकालीन चरण
केदारनाथ के कपाट बंद होने के साथ ही चारधाम यात्रा 2025 का शीतकालीन चरण भी शुरू हो गया है। गंगोत्री, यमुनोत्री और बदरीनाथ धाम के कपाट पहले ही बंद किए जा चुके हैं। अब भक्तजन ऊखीमठ, जोशीमठ और अन्य शीतकालीन गद्दीस्थलों में देव पूजन का दर्शन कर सकेंगे।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और बदरी-केदार मंदिर समिति ने बताया कि शीतकाल के दौरान मंदिर परिसर की देखभाल और सुरक्षा के लिए सभी व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं। वहीं, प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि अगले यात्रा सत्र से पहले सभी मरम्मत और रखरखाव कार्य समय पर पूरे हों।
हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक केदारनाथ धाम के कपाट इस वर्ष भाई दूज के पावन अवसर पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में शामिल इस धाम में वैदिक मंत्रोच्चार और विशेष पूजा-अर्चना के बीच परंपरागत विधि से कपाट बंद किए गए। अब अगले छह महीनों तक बाबा केदार की शीतकालीन पूजा ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में संपन्न होगी। हर साल की तरह इस बार भी जब मंदिर के कपाट बंद हुए, तो पूरा परिसर “जय केदार” के उद्घोष से गूंज उठा। श्रद्धालुओं ने अश्रुपूर्ण विदाई दी और बाबा केदार की पंचमुखी भोगमूर्ति को चल विग्रह डोली में सजाकर ऊखीमठ के लिए रवाना किया गया।
शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ का ओंकारेश्वर मंदिर बनेगा आस्था का केंद्र
कपाट बंद होने के साथ ही बाबा केदार की उपासना का केंद्र अब ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर बन गया है। यहीं पर आगामी छह महीनों तक दैनिक पूजन, अभिषेक और आरती की व्यवस्था रहेगी। यह मंदिर न केवल बाबा केदारनाथ का शीतकालीन गद्दीस्थल है, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए उतना ही पवित्र माना जाता है जितना कि स्वयं केदारनाथ धाम। हर वर्ष सर्दियों में भारी बर्फबारी और मौसम की कठोरता के कारण केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, ताकि देवता की पूजा-अर्चना सुचारु रूप से ऊखीमठ में जारी रह सके। यह परंपरा सदियों से निरंतर चली आ रही है और आज भी उसी श्रद्धा के साथ निभाई जाती है।
धार्मिक अनुष्ठानों के साथ सम्पन्न हुआ कपाट बंद समारोह
कपाट बंद होने से पहले भगवान केदारनाथ का विशेष रुद्राभिषेक, महाआरती और भोग अर्पण किया गया। इसके बाद मंदिर परिसर में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कपाटों को विधि-विधानपूर्वक बंद किया गया। पुजारियों और रावल ने पारंपरिक रूप से भगवान के चरणों में आहुति दी और फिर बाबा की डोली को पुष्पों से सुसज्जित किया गया। जैसे ही डोली ने मंदिर परिसर छोड़ा, वातावरण भक्तिमय भावनाओं से भर गया। स्थानीय लोग और तीर्थयात्री बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद अगले दर्शन की प्रतीक्षा में विदा हुए।
चारधाम यात्रा के समापन के साथ शुरू हुआ शीतकालीन चरण
केदारनाथ के कपाट बंद होने के साथ ही चारधाम यात्रा 2025 का शीतकालीन चरण भी शुरू हो गया है। गंगोत्री, यमुनोत्री और बदरीनाथ धाम के कपाट पहले ही बंद किए जा चुके हैं। अब भक्तजन ऊखीमठ, जोशीमठ और अन्य शीतकालीन गद्दीस्थलों में देव पूजन का दर्शन कर सकेंगे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और बदरी-केदार मंदिर समिति ने बताया कि शीतकाल के दौरान मंदिर परिसर की देखभाल और सुरक्षा के लिए सभी व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं। वहीं, प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि अगले यात्रा सत्र से पहले सभी मरम्मत और रखरखाव कार्य समय पर पूरे हों।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।