महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे केजीएफ स्टार यश, भस्म आरती में हुए भाव-विभोर, देखें दर्शन की झलकियां

महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे केजीएफ स्टार यश, भस्म आरती में हुए भाव-विभोर, देखें दर्शन की झलकियां
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आज सुबह उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में एक बेहद दिव्य और भक्ति-रस से भरा दृश्य देखने को मिला, जब साउथ सुपरस्टार और केजीएफ फेम यश बाबा महाकाल के दरबार में हाजिरी लगाने पहुँचे। भोर की बेला में आयोजित होने वाली विश्वविख्यात भस्म आरती में यश ने भाग लिया और पूरे भाव-विभोर होकर इस अद्भुत परंपरा में स्वयं को समर्पित किया।

यश का मंदिर परिसर में प्रवेश होते ही भक्तों में उत्साह की लहर दौड़ पड़ी। हालांकि, सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह चाक-चौबंद रही, जिससे श्रद्धालुओं और अभिनेता दोनों को बिना किसी अवरोध के दर्शन और पूजा का लाभ मिल सका।

महाकाल की दिव्यता में डूबे यश, शिव आराधना में दिखा अद्भुत समर्पण

सफ़ेद पारंपरिक पोशाक में सजे यश जब गर्भगृह के सामने बैठे, तो उनका चेहरा पूर्ण श्रद्धा से दमक रहा था। उन्होंने बिना किसी आडंबर के, पूरी सादगी और भक्ति भाव के साथ भस्म आरती का आनंद लिया। आरती के दौरान मंदिर प्रांगण ‘जय महाकाल’ के जयकारों से गूंज उठा और यश भी उन स्वर लहरियों में गहराई से जुड़ते नजर आए।

मंदिर सूत्रों के अनुसार, यश ने महाकालेश्वर भगवान का विशेष अभिषेक भी कराया और देश-विदेश में शांति और शुभता की प्रार्थना की। अभिनेता का यह भावुक रूप उनके प्रशंसकों को भी बेहद प्रेरणादायक लगा।

भस्म आरती: उज्जैन की आत्मा, दुनिया की श्रद्धा

उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, और यहाँ की भस्म आरती न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर के श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यह आरती अनादिकाल से चली आ रही परंपरा है जिसमें शिवजी को भस्म से श्रृंगारित किया जाता है। फिल्मी हस्तियों, राजनेताओं और विदेशी मेहमानों का यहाँ आना अब एक नियमित दृश्य बन गया है।

यश से पहले भी अक्षय कुमार, कंगना रनौत, रणबीर कपूर, और श्रद्धा कपूर जैसे कई कलाकार महाकाल के दर्शन कर चुके हैं। यश का यह आध्यात्मिक रुख उनके प्रशंसकों के बीच एक नई छवि प्रस्तुत करता है—एक सुपरस्टार जो न केवल एक्शन में, बल्कि अध्यात्म में भी गहराई से जुड़ा हुआ है।

भक्ति और स्टारडम का संगम

यश का बाबा महाकाल के दरबार में इस तरह आकर भक्ति में लीन होना यह सिद्ध करता है कि चाहे व्यक्ति कितना भी बड़ा क्यों न हो, ईश्वर के सामने सभी समान हैं। उनकी महाकाल यात्रा न केवल एक धार्मिक अनुभव थी, बल्कि यह भी संदेश देती है कि आत्मा की शांति, संयम और श्रद्धा, जीवन के सबसे ऊँचे लक्ष्यों तक पहुँचने के लिए अनिवार्य हैं।

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