पूजा के दीपक की दिशा से बनते हैं संयोग और बिगड़ते हैं काम, जानिए मंदिर में दीया किस दिशा में जलाना चाहिए

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और धार्मिक कर्मकांडों में हर एक क्रिया का विशेष महत्व होता है। इनमें भी दीपक जलाना न केवल परंपरा है, बल्कि यह ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक भी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दीपक जलाने की दिशा भी आपके जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकती है? बहुत से लोग मंदिर में दीया तो जलाते हैं, लेकिन उसे किस दिशा में रखें, इसका ध्यान नहीं रखते। इसका परिणाम यह होता है कि पूजा का पूर्ण फल नहीं मिल पाता या घर में नेगेटिविटी का संचार हो सकता है।
ऐसे में यह जानना आवश्यक हो जाता है कि मंदिर में दीपक किस दिशा में जलाना चाहिए, ताकि ईश्वर की कृपा प्राप्त हो और जीवन में सुख-शांति बनी रहे। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि दीपक की दिशा क्यों महत्वपूर्ण है और किन दिशाओं में किस प्रकार का दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
दीपक की दिशा का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व
दीपक जलाने की परंपरा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि गहराई से वैज्ञानिक और ऊर्जा आधारित सिद्धांतों से जुड़ी हुई है। जब हम किसी विशेष दिशा में दीपक जलाते हैं, तो वह उस दिशा की उर्जा को सक्रिय करता है और विशेष प्रभाव उत्पन्न करता है। इसके पीछे यह मान्यता है कि दिशाएं पंचमहाभूत तत्वों और देवी-देवताओं से जुड़ी होती हैं, और यदि उन्हें संतुलित किया जाए तो घर में सुख, शांति, समृद्धि और सकारात्मकता बनी रहती है।
पूर्व दिशा की ओर दीपक जलाना
पूजन करते समय दीपक को पूर्व दिशा में जलाना सर्वाधिक शुभ माना गया है। पूर्व दिशा को सूर्य की दिशा कहा जाता है और यह ज्ञान, ऊर्जा और उन्नति का प्रतीक है। जब दीपक इस दिशा में जलाया जाता है, तो यह घर में उजाला और सकारात्मक विचारों का प्रवाह करता है। विद्यार्थियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए यह दिशा विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है।
उत्तर दिशा की ओर दीपक जलाने का फल
उत्तर दिशा को धन और समृद्धि की दिशा माना गया है, और इसे कुबेर की दिशा भी कहा जाता है। यदि आप आर्थिक रूप से उन्नति चाहते हैं या घर में लक्ष्मीजी का वास चाहते हैं, तो पूजा में दीपक को उत्तर दिशा की ओर जलाना चाहिए। यह घर में स्थिरता और समृद्धि लाने वाला माना गया है।
दक्षिण और पश्चिम दिशा में दीपक जलाना – कब और क्यों
आम तौर पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से बचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इसे यम की दिशा माना गया है। लेकिन विशेष अवसरों पर जैसे पितृ तर्पण, श्राद्ध या किसी पूर्वज की स्मृति में दीपक जलाना हो, तो दक्षिण दिशा में दीपक जलाना उचित होता है।
पश्चिम दिशा में भी नियमित पूजा में दीपक जलाने से बचना चाहिए, लेकिन अगर विशेष रूप से शनिदेव या किसी विशिष्ट तांत्रिक अनुष्ठान की पूजा हो रही हो, तब यह दिशा उपयोगी हो सकती है।
घी या तेल का दीपक – कौन-सा और कब जलाएं?
घी और तेल दोनों से बने दीपक के अपने-अपने लाभ हैं। शुद्ध देशी घी का दीपक मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति देता है, जबकि सरसों या तिल के तेल का दीपक नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है। सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार को घी का दीपक शुभ होता है, जबकि शनिवार और मंगलवार को तेल का दीपक जलाना विशेष फलदायी माना गया है।
दीपक का मुख किस दिशा में होना चाहिए?
दीपक की लौ (ज्वाला) पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होनी चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। यदि आप भगवान विष्णु या देवी लक्ष्मी की पूजा कर रहे हैं, तो दीपक की लौ पूर्व की ओर रखें। वहीं, धन प्राप्ति के लिए उत्तर दिशा में रखी लौ अधिक लाभदायक मानी गई है।
पूजा का दीपक सही दिशा में होगा तो प्रसन्न होंगे देवता
मंदिर में दीपक केवल रोशनी के लिए नहीं जलाया जाता, यह हमारी श्रद्धा, भावना और ऊर्जा का प्रतीक होता है। जब इसे सही दिशा में जलाया जाए, तो यह ईश कृपा प्राप्त करने में सहायक बनता है। यदि आपने अब तक इस विषय पर ध्यान नहीं दिया, तो आज से ही पूजा करते समय दीपक की दिशा और प्रकार का विचार अवश्य करें। यह न केवल आपकी पूजा को पूर्ण बनाएगा, बल्कि जीवन में भी सकारात्मक परिवर्तन लाएगा।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।