7 जून को मंगल-केतु का संयोग , कुज-केतु योग बनेगा अशुभ, तीन राशियों को रहना होगा सतर्क

ज्योतिष विज्ञान में ग्रहों के आपसी संयोग और परिवर्तन को भविष्य की घटनाओं का आधार माना जाता है। ऐसे ही एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना की ओर इशारा कर रहे हैं ज्योतिषाचार्य, जो जून 2025 की शुरुआत में घटित होने जा रही है। 7 जून को मंगल ग्रह सिंह राशि में प्रवेश करेगा, जहां पहले से ही केतु विराजमान हैं। जैसे ही ये दोनों ग्रह एक ही राशि में एकत्रित होंगे, उसी क्षण कुज-केतु योग बन जाएगा। यह योग वैदिक ज्योतिष में विशेष रूप से प्रभावशाली और साथ ही साथ कुछ मामलों में अशुभ माना गया है।
मंगल को नवग्रहों में सेनापति का दर्जा प्राप्त है। यह ग्रह ऊर्जा, साहस, युद्ध, आत्मबल और आक्रामकता का प्रतीक है। वहीं, केतु एक छाया ग्रह है जो भौतिक सुखों से विमुख कर आध्यात्मिकता की ओर ले जाता है, लेकिन जब यह किसी क्रूर ग्रह के साथ युति करता है, तो परिणाम काफी उलझनपूर्ण और चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। मंगल और केतु की युति को ज्योतिष में एक आक्रामक और उग्र संयोग कहा गया है, जिसे अक्सर दुर्घटनाओं, मानसिक अशांति, चोट, विवाद और अचानक हानि से जोड़कर देखा जाता है।
किन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव?
इस बार बनने वाला कुज-केतु योग तीन राशियों के लिए विशेष रूप से चिंताजनक साबित हो सकता है। इन राशियों को सावधानीपूर्वक कदम उठाने की आवश्यकता होगी, क्योंकि यह ग्रह संयोग मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से अस्थिरता उत्पन्न कर सकता है।
1. कर्क राशि
इस राशि के जातकों को विशेष रूप से क्रोध पर नियंत्रण रखना होगा। पारिवारिक विवाद, कार्यस्थल पर टकराव और वाहन चलाते समय लापरवाही भारी पड़ सकती है। स्वास्थ्य को लेकर भी चिंता बनी रह सकती है, विशेष रूप से रक्त संबंधी या त्वचा रोग की संभावना है।
2. कन्या राशि
कन्या राशि वालों के लिए यह समय निर्णयों में भ्रम, धोखे और अनावश्यक मानसिक तनाव ला सकता है। आर्थिक मामलों में जोखिम से बचना ही बेहतर रहेगा। किसी कानूनी विवाद या कार्यस्थल पर षड्यंत्र का शिकार बनने की आशंका है।
3. धनु राशि
इस राशि के जातकों को यात्राओं में सावधानी रखनी चाहिए। निवेश या साझेदारी के फैसलों को कुछ समय के लिए टालना समझदारी होगी। मित्रों से मतभेद और अपनों से दूरियों की स्थिति बन सकती है।
उपाय और सावधानियां
* मंगलवार के दिन हनुमान जी की आराधना करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
* मंगल और केतु के बीज मंत्रों का जाप करें —
मंगल मंत्र: ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः
केतु मंत्र: ॐ कें केतवे नमः
* रक्तदान, मसूर दाल का दान, और लाल वस्त्रों का दान भी इस योग के कुप्रभाव को कम कर सकता है।
* मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए ध्यान और योग का अभ्यास लाभकारी रहेगा।
7 जून 2025 को बनने वाला कुज-केतु योग एक ऐसी खगोलीय घटना है, जो जीवन के कई पहलुओं पर गहरा असर डाल सकती है। विशेष रूप से जिन राशियों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, उन्हें सतर्क रहकर अपने कार्यों और निर्णयों को लेकर संयम बरतने की आवश्यकता है। ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से यह समय चिंतन, आत्मनियंत्रण और संयम का है। यदि सही उपायों के साथ इस कालखंड को पार किया जाए, तो संकट को अवसर में बदला जा सकता है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।