15 जुलाई से शुरू होंगे मंगला गौरी व्रत, सावन के प्रत्येक मंगलवार को करें मां पार्वती की उपासना

हिंदू धर्म में मंगला गौरी व्रत का विशेष स्थान है। यह व्रत विशेष रूप से सावन मास के मंगलवारों को किया जाता है और इसे सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। यह परंपरा केवल धार्मिक नहीं बल्कि भावनात्मक रूप से भी परिवार और वैवाहिक जीवन से जुड़ी होती है।
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी यह पावन व्रत सावन महीने में आरंभ होगा। सावन मास की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से हो रही है और पहला मंगलवार 15 जुलाई को पड़ेगा। इसी दिन से मंगला गौरी व्रत का शुभ आरंभ होगा, जो लगातार चार मंगलवार तक चलेगा।
सावन के मंगलवारों का धार्मिक महत्व, जानें सभी व्रत तिथियां
सावन के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत का पालन किया जाता है। 2025 में इसकी व्रत तिथियां इस प्रकार रहेंगी:
* पहला मंगला गौरी व्रत – 15 जुलाई 2025
* दूसरा मंगला गौरी व्रत – 22 जुलाई 2025
* तीसरा मंगला गौरी व्रत – 29 जुलाई 2025
* चौथा मंगला गौरी व्रत – 5 अगस्त 2025
इन तिथियों पर व्रत रखने से मां पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य और पारिवारिक सुख के लिए यह व्रत करती हैं, वहीं कुंवारी कन्याएं मनचाहा और गुणी जीवनसाथी पाने की कामना से इस व्रत का संकल्प लेती हैं।
मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि और शुभ लाभ
व्रती महिलाओं को मंगलवार को सूर्योदय से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। पूजा स्थान को स्वच्छ करके मां पार्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। चावल, हल्दी, रोली, फूल, दीपक और मिठाई से पूजन करें। साथ ही, व्रत कथा का श्रवण या पाठ अवश्य करें।
इस दिन व्रती महिलाएं 16 श्रृंगार कर मां गौरी को भी श्रृंगारित करती हैं और अपने सुहाग की रक्षा की प्रार्थना करती हैं। कथा में सावित्री, पार्वती और माता गौरी की कथाएं सुनना अत्यंत शुभ माना गया है। व्रत का पारायण शाम को पूजा के बाद किया जाता है।
लोकमान्यता और आध्यात्मिक प्रभाव
माना जाता है कि यह व्रत मां पार्वती द्वारा भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने की कथा पर आधारित है। इसी कारण यह व्रत वैवाहिक सुख, प्रेम और संतान सुख से जुड़ा हुआ है।
कुंवारी कन्याएं अगर नियमपूर्वक मंगला गौरी व्रत करें, तो उन्हें योग्य और इच्छित वर की प्राप्ति होती है। वहीं, विवाहित स्त्रियों के वैवाहिक जीवन में मिठास और स्थायित्व बना रहता है।
इस प्रकार, मंगला गौरी व्रत सावन के पावन माह में महिलाओं के लिए आत्मिक शांति, पारिवारिक सुख और वैवाहिक समृद्धि का एक सशक्त माध्यम है। आने वाले जुलाई-अगस्त के मंगलवारों में इस व्रत का पालन कर महिलाएं अपने जीवन में सौभाग्य और शुभता का आह्वान कर सकती हैं।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।