मोहिनी एकादशी व्रत 2025, 8 मई को है पुण्यकारी तिथि, जानिए पूजा विधि, नियम और वर्जित कार्य

मोहिनी एकादशी व्रत 2025, 8 मई को है पुण्यकारी तिथि, जानिए पूजा विधि, नियम और वर्जित कार्य
X

हिंदू धर्म में एकादशी व्रतों का विशेष महत्व है, और उनमें भी मोहिनी एकादशी को बेहद शुभ और पावन माना गया है। हर साल की तरह 2025 में भी मोहिनी एकादशी का व्रत बड़ी श्रद्धा और आस्था से 8 मई, गुरुवार को रखा जाएगा। यह व्रत न केवल मोहमाया के बंधनों को काटने का प्रतीक है, बल्कि इसे करने से धार्मिक शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को सांसारिक सुख, समृद्धि और आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है।

मोहिनी एकादशी का आध्यात्मिक महत्व

मोहिनी एकादशी का नाम भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार से जुड़ा हुआ है। यह तिथि बताती है कि किस प्रकार भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप लेकर असुरों को मोह में डालकर देवताओं को अमृत प्रदान किया। इसी तरह, जो भी श्रद्धालु इस व्रत को विधिपूर्वक करता है, उसे मोह, माया और भ्रम से मुक्ति मिलती है। यह व्रत आत्मिक चेतना को जाग्रत करता है और धर्म, भक्ति और सत्कर्मों की ओर प्रवृत्त करता है।

व्रत तिथि, प्रारंभ और समापन

पंचांग के अनुसार मोहिनी एकादशी का व्रत इस बार 8 मई 2025, गुरुवार को रखा जाएगा। हालांकि, इस व्रत का आरंभ 7 मई की संध्या से ही हो जाता है, जब व्रती निराहार होकर संयम और नियम का पालन शुरू करते हैं। व्रत का पारण 9 मई को प्रातः काल विधिपूर्वक किया जाएगा। पंडित श्रीधर शास्त्री के अनुसार व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य, संयम और सात्विक आहार अत्यंत आवश्यक होता है।

व्रत की पूजन विधि

व्रत की शुरुआत से पूर्व व्रती को प्रातः स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र को गंगाजल से शुद्ध कर, रोली, चावल, तुलसी पत्र, पीले पुष्प, फल आदि अर्पित करें। श्रीविष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और दिनभर उपवास रखते हुए प्रभु का ध्यान करें। रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन करने से व्रत का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।

किन बातों का रखें विशेष ध्यान

मोहिनी एकादशी पर कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है।

1. 7 मई की संध्या से ही अन्न, चावल, लहसुन, प्याज, मांस, शराब आदि का सेवन वर्जित होता है।

2. इस दिन तामसिक भोजन, क्रोध, विवाद, कटु वचन और आलस्य से बचना चाहिए।

3. रात्रि में निंद्रा का त्याग कर भगवान का भजन करना विशेष पुण्यदायी होता है।

4. किसी भी प्रकार की हिंसा या झूठ से परहेज करें, अन्यथा व्रत निष्फल हो सकता है।

मोहिनी एकादशी केवल उपवास भर नहीं, बल्कि यह एक आत्मिक साधना और शुद्धि का पर्व है। जो श्रद्धा, संयम और विधिपूर्वक इस व्रत को करता है, उसे न केवल सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है, बल्कि वह मोह और भ्रम के बंधनों से भी मुक्त हो जाता है। 2025 में यह व्रत 8 मई को आ रहा है, ऐसे में हर भक्त को चाहिए कि वह नियमपूर्वक व्रत रखकर जीवन में अध्यात्म का प्रकाश फैलाए।


Tags:
Next Story
Share it