आज 6 सितंबर से पंचक की शुरुआत, शनिवार को लगने से कहलाएगा मृत्यु पंचक

आज 6 सितंबर 2025 से पंचक काल की शुरुआत हो रही है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब पंचक शनिवार के दिन आरंभ होता है तो इसे मृत्यु पंचक कहा जाता है। पंचक का समय आमतौर पर अशुभ माना जाता है और इस दौरान कई कार्य करने की मनाही होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मृत्यु पंचक के समय कोई भी शुभ कार्य, गृह प्रवेश, निर्माण कार्य या यात्रा करने से बचना चाहिए।
क्यों होता है पंचक का महत्व?
हिंदू पंचांग में पंचक को बेहद संवेदनशील समय बताया गया है। जब चंद्रमा धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्व भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद और रेवती नक्षत्रों से होकर गुजरता है तो पंचक का काल बनता है। इन पांच नक्षत्रों के कारण इसे पंचक कहा जाता है। यह समय व्यक्ति के कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है और अनजाने में हानि का कारण भी बन सकता है।
मृत्यु पंचक में किन कार्यों की मनाही है
1. ज्योतिष शास्त्र में मृत्यु पंचक के दौरान कुछ विशेष कामों से परहेज करने की सलाह दी जाती है। जैसे –
2. इस अवधि में मकान की छत डालना या निर्माण कार्य करना अशुभ माना जाता है।
3. घर में चारपाई या पलंग तैयार करने की मनाही होती है।
4. मृत्यु पंचक के दौरान दाह संस्कार करने से परिवार में लगातार मृत्यु का भय बना रहता है।
5. इस समय किसी बड़ी यात्रा पर निकलना भी टाला जाता है।
धार्मिक मान्यता और उपाय
मान्यता है कि पंचक काल में भगवान विष्णु और शिव की पूजा करने से नकारात्मक प्रभाव काफी हद तक कम हो जाते हैं। इस समय दान-पुण्य करना और जरूरतमंदों की सेवा करना भी शुभ फल देता है। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि मृत्यु पंचक के दौरान सतर्क रहकर नियमों का पालन किया जाए तो अशुभ परिणामों से बचा जा सकता है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।