नौतपा 2025: सूर्य की प्रचंड तपिश के दौरान कौन-से कार्य वर्जित माने गए हैं, जानिए पूरी जानकारी

हर वर्ष जब सूर्य देवता अपनी प्रचंडता के चरम पर होते हैं, तब हिंदू पंचांग में एक विशेष कालखंड आता है, जिसे नौतपा कहा जाता है। ये नौ दिनों का वह समय होता है जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं और धरती पर सबसे अधिक गर्मी दर्ज की जाती है। वर्ष 2025 में नौतपा की शुरुआत 25 मई को हो रही है और इसका समापन 3 जून को होगा। हालांकि, सूर्य 8 जून तक रोहिणी नक्षत्र में स्थित रहेंगे, लेकिन इन प्रारंभिक नौ दिनों को विशेष रूप से ‘नौतपा’ की संज्ञा दी जाती है।
ज्योतिष और धार्मिक दृष्टिकोण से यह समय अत्यंत संवेदनशील माना गया है। ऐसा माना जाता है कि नौतपा के दौरान सूर्य की तीव्र ऊर्जा पृथ्वी की जलवायु और मानवीय जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है। यही कारण है कि इस दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करने की सिफारिश की जाती है, ताकि जीवन में शांति, स्वास्थ्य और संतुलन बना रहे।
नौतपा में क्यों नहीं करने चाहिए ये कार्य?
नौतपा के दौरान गर्मी अत्यधिक होती है, जिससे शरीर और मन दोनों पर असर पड़ता है। शास्त्रों और पुरानी परंपराओं के अनुसार, इस समय कुछ कार्य करने से नकारात्मक ऊर्जा हावी हो सकती है और जीवन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि नौतपा में किन कार्यों से बचना चाहिए—
1. भूमि खुदाई या निर्माण कार्य टालें
नौतपा के दौरान ज़मीन की खुदाई या किसी तरह का निर्माण कार्य वर्जित माना गया है। ऐसा करने से वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है और घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सकता है।
2. विवाह, सगाई जैसे शुभ कार्य न करें
यह समय केवल तप और साधना के लिए उपयुक्त माना गया है। किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे विवाह, सगाई, गृह प्रवेश आदि इस दौरान करना अशुभ माना गया है, क्योंकि सूर्य की उग्रता से शुभ कार्यों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
3. अधिक यात्रा से बचें
इस अवधि में गर्मी इतनी तीव्र होती है कि शरीर पर सीधा असर पड़ता है। लंबी यात्राएं स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकती हैं। विशेष रूप से गर्भवती महिलाएं और वृद्धजन इस दौरान यात्रा से बचें।
4. तामसिक भोजन से दूरी बनाएं
नौतपा में हल्का, सात्विक और जल युक्त आहार ही ग्रहण करना चाहिए। मांस, मदिरा, अधिक मसालेदार और बासी भोजन से परहेज करना चाहिए, क्योंकि ये पित्त को बढ़ाकर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
5. क्रोध, कलह और वाद-विवाद से बचें
इस काल में मानसिक संयम रखना अत्यंत आवश्यक है। सूर्य की उग्रता का असर मन पर भी पड़ता है, जिससे चिड़चिड़ापन और तनाव बढ़ता है। ऐसे में वाद-विवाद से बचना और ध्यान, प्रार्थना आदि करना लाभकारी होता है।
धार्मिक दृष्टि से नौतपा का महत्व
नौतपा केवल भौतिक रूप से गर्मी का समय नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक साधना का एक उत्तम अवसर भी है। इस दौरान सूर्य देव की आराधना करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। सूर्य नमस्कार, जल अर्पण, मंत्र जाप और व्रत जैसे कर्म इस समय अत्यंत फलदायी माने गए हैं।
जिन लोगों की कुंडली में सूर्य अशुभ स्थिति में हो या सूर्य दोष हो, उन्हें इस समय विशेष रूप से सूर्य की उपासना करनी चाहिए। इससे उनके जीवन में बाधाएं कम होती हैं और आत्मबल बढ़ता है।
नौतपा का समय हमें प्रकृति के ताप और प्रभावों को समझने का अवसर देता है। यह केवल मौसम परिवर्तन नहीं, बल्कि जीवनशैली में संयम और साधना लाने का अवसर भी है। अगर इन नौ दिनों में बताई गई सावधानियों का पालन किया जाए तो न केवल गर्मी से राहत मिलती है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन भी बना रहता है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।