इस वर्ष की निर्जला एकादशी पर बन रहा है दुर्लभ संयोग, हस्त नक्षत्र और सिद्ध योग बना रहे हैं इसे अत्यंत शुभ

इस वर्ष की निर्जला एकादशी पर बन रहा है दुर्लभ संयोग, हस्त नक्षत्र और सिद्ध योग बना रहे हैं इसे अत्यंत शुभ
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हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह दो एकादशियां आती हैं — एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। दोनों का ही धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व होता है, लेकिन ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे निर्जला एकादशी कहा जाता है, विशेष रूप से पुण्यफल देने वाली मानी जाती है। इसका व्रत कठिन होने के कारण और भी प्रभावशाली माना गया है, क्योंकि इसमें जल तक ग्रहण नहीं किया जाता। लेकिन इस बार की निर्जला एकादशी कुछ खास वजहों से और भी अधिक महत्वपूर्ण बन गई है।

हस्त नक्षत्र और सिद्ध योगों का अद्वितीय संयोग बना रहा है यह एकादशी दुर्लभ

इस बार निर्जला एकादशी पर आकाश में हस्त नक्षत्र की उपस्थिति है, जिसे शुभ और फलदायक नक्षत्रों में गिना जाता है। इसके साथ ही तीन अत्यंत शक्तिशाली योग — व्यातीपात योग, वरियान योग और सर्वार्थ सिद्धि योग — एक ही दिन में बन रहे हैं। इन ज्योतिषीय योगों का एकसाथ पड़ना अत्यंत दुर्लभ घटना होती है। यह संयोग इस एकादशी को न केवल आध्यात्मिक साधना के लिए बल्कि सभी प्रकार के शुभ कार्यों और संकल्पों के लिए भी अत्यंत सफल और प्रभावी बना रहा है।

व्यातीपात, वरियान और सर्वार्थ सिद्धि योग से मिलता है विशेष आध्यात्मिक बल

व्यातीपात योग को खगोलीय दृष्टि से विशेष और रहस्यमय योग माना गया है। यह योग किसी भी धार्मिक कार्य में असाधारण शक्ति भरता है। वहीं वरियान योग यश, सम्मान और विजय दिलाने वाला होता है। जो व्यक्ति इस योग में व्रत, जप या दान करता है, उसके कार्यों में सफलता मिलती है। सर्वार्थ सिद्धि योग तो वैसे भी अपने नाम के अनुसार सभी कार्यों की सिद्धि देने वाला होता है। इन तीनों योगों के साथ हस्त नक्षत्र का जुड़ना इस एकादशी को वर्ष की सबसे शुभ तिथियों में से एक बना देता है।

निर्जला एकादशी व्रत का प्रभाव और लाभ

जो व्यक्ति वर्ष भर एकादशी व्रत नहीं कर पाता, उसके लिए निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशियों के पुण्य को देने वाला होता है। इस दिन निर्जल रहकर उपवास करना, भगवान विष्णु का पूजन करना, तुलसी पत्र अर्पित करना और दान करना अत्यंत फलदायक होता है। विशेषकर इस बार की एकादशी पर, जब योगों का अद्वितीय मेल है, तो इसका प्रभाव कई गुना अधिक होगा।

2025 की निर्जला एकादशी केवल एक धार्मिक तिथि नहीं, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से दुर्लभ और शक्तिशाली अवसर है। हस्त नक्षत्र की सौम्यता, व्यातीपात और वरियान की शक्ति तथा सर्वार्थ सिद्धि योग का अद्भुत मेल इस दिन को अध्यात्म, साधना, दान और संकल्प के लिए एक आदर्श दिन बना देता है। यदि आप अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाना चाहते हैं, तो इस एकादशी पर व्रत और पूजा जरूर करें। यह अवसर बार-बार नहीं आता।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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