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नोएडा में 12 करोड़ की मेगा साइबर ठगी का खुलासा: निवेश के जाल में फंसे पीड़ित से ठगों ने 17 करोड़ और मांगे तो टूटा भरोसा

व्हाट्सऐप ग्रुप के जरिए बना जाल, फर्जी प्रॉफिट दिखाकर करोड़ों ऐंठे—पीड़ित ने सेक्टर-36 साइबर क्राइम थाने में दर्ज कराई FIR

नोएडा में 12 करोड़ की मेगा साइबर ठगी का खुलासा: निवेश के जाल में फंसे पीड़ित से ठगों ने 17 करोड़ और मांगे तो टूटा भरोसा
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उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में एक ऐसा साइबर फ्रॉड सामने आया है जिसने पुलिस और साइबर विशेषज्ञों दोनों को चौंका दिया है। नोएडा के सेक्टर-47 के रहने वाले इन्द्रपाल चौहान एक निवेश घोटाले का शिकार बने, जिसमें उनसे लगभग 12 करोड़ रुपये की भारी-भरकम ठगी की गई। मामला तब खुला जब ठगों ने उनसे और 17 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग की। इस पर पीड़ित को एहसास हुआ कि वह एक सुनियोजित साइबर गिरोह के निशाने पर आ चुके हैं, जिसके बाद उन्होंने तुरंत साइबर क्राइम थाना सेक्टर-36 में शिकायत दर्ज कराई।

व्हाट्सऐप से शुरू हुई बातचीत, फिर फर्जी ग्रुपों ने बिछाया पूरा जाल

ठगी की शुरुआत एक साधारण से व्हाट्सऐप मैसेज से हुई। ‘क्यारा शर्मा’ नाम की प्रोफाइल ने इन्द्रपाल से बातचीत शुरू की और कुछ दिनों में ही उन्हें निवेश का लालच दिया। इसके बाद उन्हें दो अलग-अलग व्हाट्सऐप ग्रुप में जोड़ा गया। इन ग्रुपों में रोजाना गढ़े हुए प्रॉफिट स्क्रीनशॉट, नकली सफल निवेशकों की टिप्पणियाँ और फर्जी मार्केट रिपोर्ट शेयर की जाती थीं, जिससे पीड़ित का भरोसा धीरे-धीरे मजबूत होता गया।

50 हजार से शुरू हुआ सफर करोड़ों की हानि तक पहुंचा

शुरुआत में चौहान ने सिर्फ 50,000 रुपये का निवेश किया। ठगों ने चालाकी से शुरुआत में 9 लाख रुपये का मुनाफा वापस कर दिया, जिससे उन्हें प्लेटफॉर्म की विश्वसनीयता पर भरोसा हो गया।

इसके बाद 17 दिनों में 9 अलग-अलग लेनदेन के जरिए उन्होंने कुल 11 करोड़ 99 लाख 50 हजार रुपये विभिन्न खातों में भेज दिए।

ठग हर बार नए खातों में पैसा जमा करवाते ताकि पुलिस ट्रैकिंग मुश्किल हो जाए।

आईपीओ निवेश का लालच और 17 करोड़ की मांग ने खोली आंखें

जब पीड़ित पर भरोसा पूरी तरह जम गया, तब ठगों ने अपने अंतिम और सबसे बड़े दांव के तहत ‘एक्जैटो टेक्नोलॉजी लिमिटेड’ के कथित आईपीओ में निवेश का ऑफर दिया। इसी बहाने उन्होंने चौहान से 17 करोड़ रुपये और जमा करने को कहा।

इतनी बड़ी रकम की मांग पर इन्द्रपाल को पहली बार शक हुआ। उन्होंने प्लेटफॉर्म और लेनदेन की जांच शुरू की तो पाया कि सभी वेबसाइटें, नंबर और अकाउंट फर्जी थे। तभी उन्हें समझ आया कि वे करोड़ों के साइबर धोखे के शिकार हो चुके हैं।

एफआईआर दर्ज, साइबर सेल ने जांच तेज की

पीड़ित द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद साइबर क्राइम थाना सेक्टर-36 की टीम ने जांच शुरू कर दी है। पुलिस ठगों द्वारा इस्तेमाल किए गए बैंक खातों, मोबाइल नंबरों, ईमेल आईडी और व्हाट्सऐप ग्रुप्स की तकनीकी ट्रेसिंग कर रही है।

अधिकारियों का कहना है कि यह एक संगठित अंतरराज्यीय साइबर गिरोह का काम प्रतीत हो रहा है, जो उच्च-स्तरीय ऑनलाइन निवेश धोखाधड़ी को अंजाम देता है।

साइबर विशेषज्ञों की चेतावनी—“फर्जी प्रॉफिट सबसे बड़ा झांसा”

साइबर विशेषज्ञों के अनुसार ठग लोगों का विश्वास जीतने के लिए शुरुआत में थोड़ी रकम वापस कर देते हैं, जिसे डिजिटल फ्रॉड में ‘Return Trap Strategy’ कहा जाता है।

उन्होंने यह भी सलाह दी कि—

1. किसी भी WhatsApp या Telegram निवेश ग्रुप पर भरोसा न करें,

2. किसी अनजान व्यक्ति द्वारा भेजे गए लिंक या ऐप से दूरी बनाए रखें,

3. किसी भी निवेश प्लेटफॉर्म की विश्वसनीयता को SEBI और RBI पोर्टल पर जरूर चेक करें।

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