पापांकुशा एकादशी 2025: 3 अक्टूबर को रखें व्रत, जानें शुभ तिथि, व्रत विधि और महत्व

पापांकुशा एकादशी 2025: 3 अक्टूबर को रखें व्रत, जानें शुभ तिथि, व्रत विधि और महत्व
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पापांकुशा एकादशी की तिथि और समय

हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व माना गया है। वर्षभर में आने वाली चौबीस एकादशियों में प्रत्येक का अपना धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष एकादशी 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार को शाम 07:10 बजे प्रारंभ होगी और इसका समापन 3 अक्टूबर, शुक्रवार को शाम 06:32 बजे होगा। उदयातिथि के आधार पर पापांकुशा एकादशी का व्रत 3 अक्टूबर शुक्रवार को रखा जाएगा।

पापांकुशा एकादशी का महत्व

शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से जीवन के पाप नष्ट होते हैं और आत्मा को शुद्धि प्राप्त होती है। इस दिन उपवास और भगवान विष्णु की आराधना करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही व्रती को सुख, समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।

व्रत विधि और पूजा-पाठ का महत्व

इस दिन प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लिया जाता है। व्रती को व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। पूजा के समय भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर तुलसी दल, पीले फूल, पीले वस्त्र और भोग अर्पित किया जाता है। शाम को विष्णु सहस्रनाम का पाठ और भजन-कीर्तन करना विशेष फलदायी माना जाता है। व्रत का पारण अगले दिन प्रातःकाल किया जाता है।

धार्मिक मान्यताएं और लाभ

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से मृत्युपरांत व्यक्ति को वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। साथ ही इस व्रत का पुण्य फल न केवल व्रती को बल्कि उसके परिवार और पूर्वजों तक को मिलता है। यह एकादशी जीवन में पापों के क्षय और पुण्य की वृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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