कब है परशुराम जयंती 2025? जानिए तिथि, महत्व और भगवान परशुराम के जीवन से जुड़ी पौराणिक कथा

भगवान परशुराम का जीवन और परशुराम जयंती का महत्व
भगवान परशुराम को श्रीविष्णु के छठे अवतार के रूप में पूजा जाता है। उनका जन्म त्रेतायुग में धर्मपरायण ऋषि जमदग्नि और पुण्यवती माता रेणुका के घर हुआ था। परशुराम जयंती उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह दिन उन्हें समर्पित होता है जिन्होंने अपने तप, शक्ति और क्रोध से अन्याय, अधर्म और अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाई। परशुराम जी का जीवन न्याय और धर्म की स्थापना के लिए समर्पित रहा है।
क्षत्रियों के अत्याचार से धरती को किया मुक्त
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान परशुराम ने क्षत्रिय जाति में उत्पन्न अहंकार और अत्याचार को समाप्त करने के लिए कई बार युद्ध किया। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने इक्कीस बार पृथ्वी को क्षत्रियविहीन कर दिया था। वे सदैव धर्म की रक्षा और साधुजनों की सेवा में रत रहे। उनका पराक्रम और तप आज भी धर्म के रक्षकों को प्रेरणा देता है।
परशुराम जयंती 2025: जानिए कब और कैसे मनाई जाएगी यह पर्व
हिंदू पंचांग के अनुसार, परशुराम जयंती हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह पावन तिथि 29 अप्रैल, मंगलवार को आ रही है। पंचांग के अनुसार, तृतीया तिथि का आरंभ 29 अप्रैल को शाम 5:31 बजे से होगा, और इसका समापन 30 अप्रैल को दोपहर 2:12 बजे तक रहेगा। इसी के अनुसार, इस वर्ष 29 अप्रैल को ही परशुराम जयंती का उत्सव मनाया जाएगा।
पूजा और उपासना की विधि
इस दिन भक्तजन भगवान परशुराम की प्रतिमा या चित्र की विधिवत पूजा करते हैं। फल, फूल, तुलसी और घी का दीपक अर्पित करते हुए परशुराम स्तोत्र और विष्णु मंत्रों का जाप किया जाता है। साथ ही, दान-पुण्य करने और ब्राह्मणों को भोजन कराने की परंपरा भी प्राचीनकाल से चली आ रही है।
परशुराम: कर्म, क्रोध और करुणा के प्रतीक
भगवान परशुराम का व्यक्तित्व अपने आप में अनूठा है—जहां वे एक योद्धा हैं, वहीं एक ऋषि भी। वे क्षत्रिय तेज के साथ ब्राह्मण ज्ञान के भी स्वामी हैं। उन्होंने भगवान शिव से दिव्य अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा ली और पृथ्वी पर धर्म की स्थापना हेतु इनका उपयोग किया।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।