पितृ दोष से छुटकारा दिलाने वाली तिथि, पितृकार्येषु अमावस्या पर करें ये कार्य, मिलेंगे पितरों के आशीर्वाद

पितृ दोष से छुटकारा दिलाने वाली तिथि, पितृकार्येषु अमावस्या पर करें ये कार्य, मिलेंगे पितरों के आशीर्वाद
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ज्येष्ठ मास की अमावस्या, जिसे पितृकार्येषु अमावस्या भी कहा जाता है, इस वर्ष 27 मई 2025 को पड़ रही है। पंचांग के अनुसार यह दिन पितरों की शांति और कृपा प्राप्ति के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए श्राद्ध, तर्पण, स्नान, दान और पितृ पूजन का विधान होता है।

मान्यता है कि अमावस्या तिथि के दिन पूर्वजों की आत्माएं पृथ्वी पर आती हैं और अपने वंशजों से तर्पण और श्रद्धा की अपेक्षा करती हैं। खासकर अगर किसी की कुंडली में पितृ दोष हो, तो इस दिन उचित विधि से पूजन और कर्म करने से उस दोष के निवारण का मार्ग खुलता है। यह दोष व्यक्ति के जीवन में लगातार संघर्ष, मानसिक अशांति, संतान संबंधी समस्याएं और आर्थिक अड़चनें ला सकता है। ऐसे में इस दिन को हल्के में नहीं लेना चाहिए।

पितृ कार्येषु अमावस्या क्यों है विशेष?

पितृकार्येषु अमावस्या को विशेष मानने के पीछे यह मान्यता है कि यह तिथि देवताओं की नहीं, बल्कि पितरों की होती है। इस दिन किया गया तर्पण और श्राद्ध उन्हें सीधा पहुंचता है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। ज्योतिषीय दृष्टि से यह तिथि कुंडली में मौजूद पितृ दोष को शांति देने का सबसे प्रभावी समय होता है।

इस अमावस्या को ‘पितृकार्येषु’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें केवल पितृों के लिए कर्म किए जाते हैं। इसके प्रभाव से केवल वर्तमान पीढ़ी ही नहीं, बल्कि आने वाली संतानों को भी इसका शुभ फल प्राप्त होता है।

पितृ दोष से मुक्ति के लिए करें ये कार्य

1. तर्पण और पिंडदान करें:

सुबह स्नान के बाद किसी पवित्र नदी या तालाब के किनारे जाकर पितरों के नाम पर तर्पण करें। काले तिल, जल, कुशा और जौ का उपयोग आवश्यक है।

2. श्राद्ध कर्म कराएं:

अगर संभव हो तो ब्राह्मणों को बुलाकर श्राद्ध कराएं और उन्हें भोजन करवाकर वस्त्र दान करें। इससे पितर तृप्त होते हैं।

3. पितृ गायत्री मंत्र का जाप करें:

“ॐ पितृभ्यो स्वधा नमः” या “ॐ सर्वेभ्यः पितृभ्यः नमः” मंत्र का 108 बार जाप करने से पितरों को मानसिक शांति मिलती है।

4. जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें:

गरीबों, वृद्धों, गौशाला में गायों को चारा, या आश्रय गृह में भोजन वितरित करना अत्यंत पुण्यकारी होता है। यह पितरों की कृपा दिलाने वाला सबसे सहज मार्ग है।

करें सही कर्म, पाएं पूर्वजों का आशीर्वाद

यदि आप लंबे समय से जीवन में अनचाही बाधाओं, संघर्षों या मानसिक अवसाद से जूझ रहे हैं, तो यह पितृकार्येषु अमावस्या आपके लिए एक नया आरंभ साबित हो सकती है। 27 मई 2025 को आ रही यह पवित्र तिथि, न केवल पितरों के प्रति सम्मान प्रकट करने का अवसर है, बल्कि स्वयं को और अपने वंश को नकारात्मक प्रभावों से मुक्त करने का भी समय है। सही भावना और श्रद्धा से किए गए कार्य न केवल पितृों को तृप्त करेंगे, बल्कि आपको उनके आशीर्वाद से समृद्धि और शांति का मार्ग भी दिखाएंगे।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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