घर की चार दीवारों के भीतर ही बना अजब-ग़जब सियासी त्रिकोण
Kanpur Congress faces heat as newly appointed city president’s sons are linked to BJP and SP, sparking internal revolt during party convention.

उत्तर प्रदेश में लंबे समय से राजनीतिक ज़मीन तलाश रही कांग्रेस एक बार फिर आंतरिक कलह की शिकार होती दिखाई दे रही है। इस बार विवाद कानपुर कांग्रेस के नए महानगर अध्यक्ष पवन गुप्ता की नियुक्ति को लेकर उठा है। हिंदी अखबार दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन के मंच से ही पार्टी के कानपुर लोकसभा प्रत्याशी रहे आलोक मिश्र ने यह सवाल उठाया कि पवन गुप्ता के एक बेटे का संबंध भाजपा से है और दूसरे का समाजवादी पार्टी से—ऐसे व्यक्ति को कांग्रेस का नगर अध्यक्ष बनाया जाना क्या उचित है?
अधिवेशन के मंच से ही उठे तीखे सवाल
बुधवार को अधिवेशन के दूसरे दिन बोलते हुए आलोक मिश्र ने कहा, “हम भाजपा से बाद में लड़ते हैं, आपस में पहले से लड़ते हैं। आप भाजपा के लोगों को कांग्रेस से हटाना चाहते हैं। मैं आपसे पूछता हूं कि जिसका एक बेटा सपा व दूसरा भाजपा में हो, क्या वह शहर अध्यक्ष बनने लायक है? अगर है, तो हम स्वीकारते हैं।”
उन्होंने कहा कि शहर या जिला अध्यक्ष यदि चुनाव में प्रत्याशी बनता है, तो वह संगठनात्मक निष्पक्षता कैसे निभाएगा। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि जो भी शहर अध्यक्ष नियुक्त किया जाए, वह चुनाव के लिए आवेदन न करे और केवल संगठनात्मक भूमिका निभाए। आलोक मिश्र ने कहा, “जो भी फैसला ऊपर से होगा, हम सहर्ष स्वीकार करेंगे। कांग्रेस को सत्ता में लाकर ही दम लेंगे।”
तालियों के साथ मिला नेतृत्व का समर्थन
आलोक मिश्र के इस बयान पर मंच पर उपस्थित वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने तालियां बजाईं, जिससे यह संकेत गया कि पार्टी नेतृत्व ने उनके सवालों को गंभीरता से लिया।
पवन गुप्ता का जवाब: बयान हताशा व कुंठा से प्रेरित
इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पवन गुप्ता ने कहा कि “जिस पुत्र को भाजपा में बताया जा रहा है, वह पिछले चार वर्षों से कांग्रेस उद्योग व्यापार प्रकोष्ठ में प्रदेश उपाध्यक्ष के रूप में सक्रिय है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि “दूसरा पुत्र सपा से चुनाव लड़ चुका है, पर अब वह मेरे साथ है।”
गुप्ता ने यह आरोप भी लगाया कि स्कूलों की लूट के विरुद्ध उन्होंने जो लड़ाई शुरू की, उससे आलोक मिश्र आहत हुए, क्योंकि उनके भी स्कूल हैं। उन्होंने इस पूरे बयान को हताशा और निजी कुंठा से प्रेरित बताया।
पार्टी में बढ़ी धड़ेबंदी, इंटरनेट मीडिया पर भी टकराव
इस प्रकरण के बाद कांग्रेस में अंदरूनी गुटबाज़ी खुलकर सामने आ गई है। सोशल मीडिया पर भी पाला खिंच गया है। एक पक्ष आलोक मिश्र के निष्कासन का प्रस्ताव भेजने का दबाव बना रहा है।
प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय इस प्रकरण पर निगाह बनाए हुए हैं, जबकि प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है।
पार्टी के भीतर ही खींचतान और एक ही परिवार में तीन दलों की राजनीतिक मौजूदगी ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जब पार्टी अपने पुनर्जीवन के लिए संघर्षरत है, ऐसे में संगठन के भीतर से उठती आवाज़ें उसकी राह और कठिन बना रही हैं।