घर के मंदिर में मूर्तियों का आकार कितना हो उचित? जानिए धार्मिक मान्यता और वास्तु शास्त्र के अनुसार सही नियम

घर के मंदिर में मूर्तियों का आकार कितना हो उचित? जानिए धार्मिक मान्यता और वास्तु शास्त्र के अनुसार सही नियम
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घर में बने मंदिर को हम ईश्वर का निवास स्थान मानते हैं, और यही कारण है कि वहाँ स्थापित मूर्तियों का आकार, दिशा, और स्थान विशेष महत्त्व रखता है। बहुत बार देखा गया है कि लोग बड़े आकार की मूर्तियाँ अपने घर में रख लेते हैं, जो वास्तु और शास्त्रों के अनुसार उचित नहीं माना जाता। पूजा घर एक व्यक्तिगत, शांत और सीमित क्षेत्र होता है, जहाँ संयम, श्रद्धा और ऊर्जा का संतुलन बना रहना जरूरी होता है।

शास्त्रों और वास्तुशास्त्र में मूर्ति के आकार को लेकर क्या कहा गया है?

वास्तु शास्त्र और पुराणों के अनुसार, घर के मंदिर में रखी जाने वाली मूर्तियों की ऊंचाई 9 इंच से अधिक नहीं होनी चाहिए। अधिक बड़ी मूर्तियाँ प्राचीन मंदिरों और सार्वजनिक पूजा स्थलों के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं, न कि घरेलू पूजा के लिए। ऐसा माना जाता है कि घर में बड़ी मूर्तियाँ रखने से ऊर्जा का असंतुलन हो सकता है और इससे घर के वातावरण में मानसिक और आध्यात्मिक बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।

किस प्रकार की मूर्तियाँ रखें और किससे बचें?

1. घर में बैठे हुए रूप की मूर्तियाँ अधिक शुभ मानी जाती हैं, विशेष रूप से लक्ष्मी, गणेश, राम दरबार, शिव-पार्वती आदि।

2. सोये हुए या अत्यधिक युद्ध मुद्रा में बनी मूर्तियाँ घर के वातावरण के लिए अशुभ मानी जाती हैं।

3. मूर्तियाँ धातु, संगमरमर या लकड़ी की हो सकती हैं, लेकिन टूटी-फूटी या खंडित मूर्तियाँ पूजा स्थल में नहीं रखनी चाहिए।

4. एक ही देवता की एक से अधिक मूर्तियाँ न रखें, इससे पूजा का प्रभाव विभाजित होता है।

पूजा घर में ऊर्जा संतुलन और मन की शांति कैसे बनाए रखें?

मूर्ति का आकार छोटा और सुगठित होना चाहिए ताकि ध्यान केंद्रित करना आसान हो और श्रद्धा से जुड़ाव बना रहे। साथ ही, पूजा घर में अत्यधिक सजावट, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या गैर-आवश्यक वस्तुएं रखने से बचें। पूजा स्थान को स्वच्छ, शांत और सुगंधित रखना चाहिए, ताकि वहां सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।

श्रद्धा के साथ संतुलन भी जरूरी

पूजा केवल आस्था का ही नहीं, संतुलन और शांति का भी माध्यम होती है। अतः घर के मंदिर में मूर्तियों का आकार सीमित रखने से वातावरण सकारात्मक बना रहता है और ईश्वर की कृपा बनी रहती है। भावनाएं जितनी गहरी हों, मूर्तियाँ उतनी ही सहज और छोटी होनी चाहिए।

यदि आप घर में नया मंदिर बना रहे हैं या मूर्तियों की स्थापना की योजना बना रहे हैं, तो एक बार वास्तु विशेषज्ञ या किसी विद्वान पंडित से परामर्श अवश्य लें।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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