वैशाख मास में पहला शुक्र प्रदोष व्रत 25 अप्रैल को, शिव जी की विशेष कृपा पाने का अनोखा अवसर

हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह का पहला प्रदोष व्रत इस बार शुक्रवार, 25 अप्रैल 2025 को पड़ रहा है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है और जब यह शुक्रवार को आता है, तब इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। ज्योतिष और धर्मशास्त्रों में यह व्रत शिव कृपा प्राप्ति का सर्वोत्तम माध्यम माना गया है। यह तिथि न केवल आध्यात्मिक जागरण का अवसर होती है, बल्कि जीवन में चल रहे कष्टों, रोगों और बाधाओं से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती है।
शुक्र प्रदोष व्रत का आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व
प्रदोष काल में की गई शिव उपासना अत्यंत प्रभावशाली होती है। खासतौर पर शुक्र प्रदोष का दिन सौंदर्य, प्रेम, समृद्धि और शांति का प्रतीक होता है, जिसे शुक्र ग्रह नियंत्रित करता है। ऐसे में शिव जी की आराधना करके न केवल आध्यात्मिक संतुलन पाया जा सकता है, बल्कि सांसारिक सुख-सुविधाएं और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।
व्रत करने की विधि और पूजन प्रक्रिया
प्रदोष व्रत के दिन व्रती को सुबह स्नान कर के निराहार व्रत का संकल्प लेना चाहिए। पूरे दिन शिव नाम का जप करना चाहिए और संध्या के समय, जब प्रदोष काल आरंभ होता है (सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद का समय), तब शिवलिंग का जलाभिषेक करना, बिल्वपत्र अर्पित करना और दीप जलाना चाहिए। "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का 108 बार जाप करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
इन उपायों से मिलेगी शिव कृपा और दुखों का अंत
शुक्र प्रदोष व्रत के दिन कुछ खास उपाय करने से भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। जैसे कि—
1. शिवलिंग पर दूध और शहद मिश्रित जल से अभिषेक करें।
2. सफेद चंदन और कच्चे चावल अर्पित करें।
3. गरीबों को सफेद वस्त्र या मिठाई दान करें।
4. विष्णु और पार्वती जी के साथ शिव जी की संयुक्त आराधना करें।
5. दान और सेवा का विशेष महत्व
इस दिन किसी जरूरतमंद को भोजन कराना, वस्त्र दान करना, या गौ सेवा करना अत्यंत पुण्यकारी होता है। ऐसा करने से ग्रह दोषों का निवारण होता है और जीवन में आने वाली आर्थिक या मानसिक समस्याएं धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं।
प्रदोष व्रत शिव भक्तों के लिए एक अत्यंत पवित्र और फलदायी दिन होता है। वैशाख मास का यह शुक्र प्रदोष व्रत 25 अप्रैल को मनाया जा रहा है, जो विशेष फलदायी माना गया है। इस दिन शिव जी की उपासना, व्रत, मंत्र जप और दान जैसे उपाय करने से न केवल सभी दुख-दर्द समाप्त होते हैं, बल्कि जीवन में नई ऊर्जा, सफलता और सुख-शांति का संचार होता है। जो भी भक्त सच्चे मन से इस दिन शिव जी की शरण में आता है, उसे भोलेनाथ का आशीर्वाद अवश्य मिलता है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।