जून 2025 में कब रखें प्रदोष व्रत? जानिए त्रयोदशी के इस शिव पर्व की तिथि, मुहूर्त और फलदायक योग

हिंदू पंचांग में प्रदोष व्रत का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है, जो भगवान शिव की उपासना का विशेष दिन माना जाता है। यह व्रत प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है और प्रदोष काल में शिवजी की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव अपने भक्तों से विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं और उनकी समस्त बाधाओं का नाश करते हैं। जून 2025 में दो बार प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है, और ये दोनों तिथियां विशेष योगों से युक्त हैं, जो पूजा-पाठ को और भी अधिक फलदायी बना देंगे।
जून में प्रदोष व्रत की तिथियां और विशेषता
1. पहला प्रदोष व्रत:
तारीख: 10 जून 2025, मंगलवार
व्रत प्रकार: भौम प्रदोष व्रत (मंगलवार को पड़ने के कारण)
प्रदोष काल मुहूर्त: शाम 07:16 बजे से रात 09:26 बजे तक
विशेष योग: इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग है, जो किसी भी शुभ कार्य की सफलता को सुनिश्चित करता है। भौम प्रदोष व्रत भूमि संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है।
2. दूसरा प्रदोष व्रत:
तारीख: 25 जून 2025, बुधवार
व्रत प्रकार: बुध प्रदोष व्रत
प्रदोष काल मुहूर्त: शाम 07:21 बजे से रात 09:31 बजे तक
विशेष योग: इस दिन रवि योग बन रहा है, जो विशेष रूप से मानसिक शांति और ज्ञान की प्राप्ति के लिए शुभ होता है।
इन तिथियों पर व्रत रखने और प्रदोष काल में भगवान शिव की विधिपूर्वक आराधना करने से भक्तों को समस्त दोषों से मुक्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि और नियम
प्रदोष व्रत के दिन प्रातः स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। पूरे दिन फलाहार या निराहार व्रत रखा जाता है। संध्या के समय प्रदोष काल में शिवलिंग का पूजन दूध, दही, शहद, बेलपत्र और गंगाजल से करें। फिर दीप प्रज्वलित कर 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जाप करें।
यदि संभव हो तो शिवपुराण का पाठ, रुद्राभिषेक या महामृत्युंजय मंत्र का जाप अत्यधिक फलदायी होता है। रात्रि में व्रत कथा सुनकर आरती करें और भगवान से परिवार की सुख-शांति व रोग-मुक्ति की कामना करें।
क्यों है प्रदोष व्रत इतना विशेष?
प्रदोष व्रत का संबंध केवल व्रत-उपवास से नहीं है, यह एक आध्यात्मिक साधना का माध्यम भी है। यह व्रत न केवल पापों का नाश करता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन से मानसिक तनाव, रोग, दरिद्रता और दुर्भाग्य को भी दूर करता है। शिवजी को त्रयोदशी तिथि अत्यंत प्रिय है, इस दिन व्रत रखने से काल दोष, ग्रह पीड़ा और रुकावटें स्वतः समाप्त हो जाती हैं।
विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रतों का अत्यधिक महत्व है। ये दिन मंगल और शनि ग्रह की समस्याओं को भी शांत करने में सहायक होते हैं।
जून 2025 में आने वाले प्रदोष व्रत शिवभक्तों के लिए एक दिव्य अवसर है। जो लोग जीवन में सुख, शांति और शुभ फल चाहते हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत फलदायक रहेगा। सही तिथि, शुभ मुहूर्त और साधना के साथ की गई शिव उपासना निश्चित रूप से मनोवांछित फल देगी।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।