बारिश और आंधी ने चौबेपुर में मचाई तबाही, मेहनत की फसलें तबाह
चौबेपुर, वाराणसी में गुरुवार को तेज़ आंधी और बारिश से खेतों में खड़ी गेहूं की फसल बर्बाद हो गई। किसानों की मेहनत मिट्टी में मिल गई।

चौबेपुर, (वाराणसी) – गुरुवार की दोपहर चौबेपुर क्षेत्र के किसानों के लिए किसी क़हर से कम नहीं रही। तेज़ आंधी और मूसलाधार बारिश ने खेतों में तैयार खड़ी गेहूं की फसलों को तबाह कर दिया। महीनों की मेहनत और उम्मीदों से सींची गई ये फसलें देखते ही देखते मिट्टी में मिल गईं। खेतों में पसरा सन्नाटा और मायूसी किसानों की हालत बयां कर रहा है।
तैयार फसलें पानी में गल गईं, कटी बालियों पर भी कहर
कई खेतों में तैयार गेहूं की बालियां पानी में गल गईं। जहां कटाई पहले हो चुकी थी, वहां खुले आसमान के नीचे पड़ी फसलें भीगकर बर्बाद हो गईं। न कोई छांव थी, न कोई आसरा—बस भीगती हुई उम्मीदें और टूटते हुए सपने। खेतों के कोनों में जमी बालियों पर बारिश ने सारी मेहनत धो डाली।
किसानों की पीड़ा: ‘किस्मत बह गई है’
गरथौली के किसान संतोष सिंह ने बताया, “चार महीने की मेहनत एक झटके में चली गई। अब मवेशियों के लिए चारा भी नहीं बचा।”
अजांव के मदन गोपाल और भंदहां के घनश्याम सिंह ने भी यही पीड़ा जताई—“सब कुछ उजड़ गया।”
कादीपुर कलां के रमाशंकर मौर्य और पिंकू पांडेय ने कहा, “मौसम की मार सिर्फ फसलों पर नहीं, हमारे भाग्य पर भी पड़ी है। ऐसा लग रहा है जैसे पूरी किस्मत ही भीग गई हो।”
गौरा ऊपरवार के दुष्यंत सिंह ने बताया, “हमने दिन-रात मेहनत करके जो फसल तैयार की थी, वो एक झटके में बर्बाद हो गई। गेहूं की बालियां काटकर रखी थीं, लेकिन तेज़ आंधी और बारिश ने सब कुछ तबाह कर दिया। अब न तो अनाज बचा, न मवेशियों के लिए चारा।"
तेज़ हवा से भूसा उड़ गया, आम के टिकोरे भी गिरे
तेज़ हवाओं के झोंकों ने खेतों में मड़ाई के बाद रखा भूसा भी उड़ा दिया। वहीं आम के बागों में लगे कच्चे टिकोरे भी टूटकर ज़मीन पर गिर गए। इस प्राकृतिक आपदा ने किसानों को न सिर्फ आर्थिक रूप से नुकसान पहुँचाया है, बल्कि मानसिक रूप से भी तोड़ दिया है।