ऐतिहासिक क्षण: राम मंदिर निर्माण कार्य पूर्ण, अयोध्या में राम दरबार की प्रतिष्ठा की तैयारी जोरों पर

ऐतिहासिक क्षण: राम मंदिर निर्माण कार्य पूर्ण, अयोध्या में राम दरबार की प्रतिष्ठा की तैयारी जोरों पर
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अयोध्या नगरी में स्थित श्रीराम जन्मभूमि पर बनने वाला भव्य राम मंदिर अब पूरी तरह से तैयार हो चुका है। वर्षों की प्रतीक्षा, आस्था और संघर्ष के बाद आखिरकार उस पवित्र स्थल पर निर्माण कार्य का अंतिम चरण भी संपन्न हो गया है। मंदिर की भव्यता, वास्तुकला और धार्मिक ऊर्जा अब अपने पूर्ण स्वरूप में प्रकट हो चुकी है, जिसने देशभर के श्रद्धालुओं के हृदय में नई ऊर्जा और भावनात्मक उभार पैदा कर दिया है।

इस गौरवपूर्ण मंदिर की भव्यता में राजस्थान के बंशी पहाड़पुर के नक्काशीदार गुलाबी पत्थरों ने अहम भूमिका निभाई है। इन पत्थरों की सुंदरता, मजबूती और कला ने मंदिर को एक दिव्य और कालातीत रूप प्रदान किया है। वर्षों से इन पत्थरों को नक्काशी के बाद मंदिर की संरचना में जोड़ा जा रहा था, और अब वह कार्य भी विधिपूर्वक पूर्ण हो चुका है।

राम दरबार की प्रतिष्ठा की तैयारी शुरू, जून में मिलेंगे प्रथम तल से दर्शन

भव्य राम मंदिर का शिखर भी अब सौंदर्य और आस्था का प्रतीक बन चुका है, क्योंकि कलश की स्थापना सफलतापूर्वक कर दी गई है। इसके साथ ही मंदिर के शीर्ष पर ध्वज दंड लगाने की तैयारी भी अंतिम चरण में है। माना जा रहा है कि जून 2025 के पहले सप्ताह से भक्तों को मंदिर के परकोटे और मुख्य मंदिर के प्रथम तल पर प्रतिष्ठित राम दरबार के दर्शन सुलभ हो जाएंगे।

गौरतलब है कि मंदिर का उद्घाटन पहले ही जनवरी 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर कमलों से भव्य समारोह में हो चुका था। उस समय से ही देश और विदेश से लाखों श्रद्धालु अयोध्या पहुंचकर भगवान राम लला के दिव्य दर्शन कर रहे हैं। लेकिन मंदिर के कुछ शिल्पकारी और स्थापत्य से जुड़े कार्य शेष थे, जो अब संपूर्ण रूप से पूरे हो चुके हैं।

आस्था का चरम, इतिहास का नव निर्माण

राम मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, यह करोड़ों राम भक्तों की आत्मा से जुड़ी हुई आस्था का जीता-जागता प्रतीक है। यह मंदिर एक युग के संघर्ष, समर्पण और न्याय की विजयगाथा को भी प्रकट करता है। आज जब राम दरबार की प्रतिष्ठा की तैयारियां अंतिम मोड़ पर हैं, तो यह क्षण केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक अस्मिता का उत्सव है।

मंदिर निर्माण में लगी टीम, शिल्पकारों की निपुणता और वैज्ञानिक तथा धार्मिक परंपराओं का संतुलन इस पूरी प्रक्रिया को ऐतिहासिक बना देता है। अब जब मंदिर पूरी तरह तैयार है, तो आने वाले समय में श्रद्धालुओं को एक नए अनुभव, दिव्यता और भावनात्मक संतुलन का अहसास होगा।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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