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रांची निगम को दो करोड़ का झटका, विकास अटका

नगर निगम की जमीन और दुकानों से कमाई कर रहे 122 कारोबारी वर्षों से किराया नहीं दे रहे, अब सीलिंग की कार्रवाई तेज

रांची निगम को दो करोड़ का झटका, विकास अटका
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रांची नगर निगम के दफ्तरों में इन दिनों एक सवाल बार बार उठ रहा है. शहर की जिन सड़कों और नालियों का इंतजार लोग सालों से कर रहे हैं, क्या वे सिर्फ इसलिए अटकी रहीं क्योंकि कुछ कारोबारी तय किराया देने को तैयार नहीं हुए.


नगर निगम की ओर से आवंटित जमीन और दुकानों पर कारोबार कर रहे 122 संचालकों पर दो करोड़ रुपये से अधिक का किराया बकाया है. यह रकम केवल कागजों में दर्ज नहीं, बल्कि उन अधूरे विकास कार्यों की तस्वीर है जो इस पैसे से पूरे हो सकते थे. निगम के आकलन के मुताबिक, इतनी राशि से करीब एक किलोमीटर तक आठ फीट चौड़ी पीसीसी सड़क या डेढ़ किलोमीटर लंबी नाली का निर्माण संभव था.


नियम के मुताबिक, निगम की संपत्तियों का आवंटन लेते समय हर संचालक को मासिक किराया तय समय पर जमा करना होता है. लेकिन हकीकत यह है कि वर्षों से कई दुकानदारों ने न सिर्फ भुगतान टाल दिया, बल्कि निगम कर्मचारियों की मौखिक चेतावनियों को भी नजरअंदाज किया.


आंकड़े बताते हैं कि करीब 50 दुकानदार ऐसे हैं जिन पर एक लाख से सात लाख रुपये तक बकाया है. 32 लोगों पर 50 हजार से एक लाख रुपये के बीच की देनदारी है, जबकि 38 संचालकों ने सात हजार से 50 हजार रुपये तक किराया जमा नहीं किया. सबसे बड़ा मामला बच्चा नारायण सिंह का है, जिन पर 37.49 लाख रुपये बकाया पाए गए. निगम की टीम ने उनकी दुकान पहले ही सील कर दी है.


सबसे ज्यादा बकाएदार रांची के खादगढ़ा न्यू शॉप क्षेत्र में सामने आए हैं. इसके अलावा रातू रोड मार्केट कॉम्प्लेक्स, एम कॉम्प्लेक्स, अपर बाजार, वेस्टर्न सर्किल, कपड़ा और सब्जी पट्टी, मारवाड़ी टोला, सरस्वती मार्केट, मछली पट्टी, डेली मार्केट ओपन शेड और पहाड़ी मंदिर परिसर जैसे इलाकों में भी निगम की जमीन पर कारोबार करने वालों पर बकाया है.


नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि अगर समय पर किराया मिल जाता, तो छोटे छोटे विकास कार्यों की रफ्तार कहीं तेज होती. अब निगम ने बकाएदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है और जरूरत पड़ने पर और दुकानों को सील किया जाएगा.


यह मामला केवल राजस्व वसूली का नहीं है. यह उस भरोसे का सवाल भी है, जो शहर के विकास के नाम पर नगर निकाय और कारोबारियों के बीच बना होता है. आने वाले दिनों में यह साफ होगा कि कार्रवाई से निगम की तिजोरी भरती है या यह लड़ाई और लंबी खिंचती है.

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