8 जून को पड़ेगा रवि प्रदोष व्रत, शिव भक्ति से मिलेगा पितृ शांति का वरदान

8 जून को पड़ेगा रवि प्रदोष व्रत, शिव भक्ति से मिलेगा पितृ शांति का वरदान
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आगामी 8 जून 2025, रविवार को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पड़ रही है, जिसे रवि प्रदोष व्रत के रूप में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाएगा। प्रदोष व्रत, विशेष रूप से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और जीवन की जटिलताओं से मुक्ति पाने का शुभ अवसर माना जाता है। जब यह व्रत रविवार के दिन पड़ता है, तो इसे 'रवि प्रदोष' कहा जाता है, और इसकी महिमा कई गुना बढ़ जाती है।

प्रदोष व्रत उन व्रतों में से एक है जिसे नियमित रूप से प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, लेकिन रवि प्रदोष की विशेषता यह है कि इसमें सूर्य देव और भगवान शिव दोनों की कृपा एक साथ प्राप्त होती है। इसके साथ ही इस दिन पितृ दोष शांति और पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए विशेष पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना गया है।

रवि प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व और पूजन विधि

प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत का पालन करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। त्रयोदशी तिथि को संध्या कालीन समय में की गई शिव आराधना अत्यंत फलदायी होती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी है जो संतान संबंधी कष्ट, आर्थिक संकट, पारिवारिक कलह या पितृ दोष से पीड़ित हैं।

इस दिन व्रती को प्रातःकाल स्नान कर के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। दिन भर उपवास रखते हुए शाम को सूर्यास्त के समय भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। इसके पश्चात बिल्व पत्र, धतूरा, सफेद पुष्प, अक्षत और गंगाजल से शिवलिंग की पूजा करें। मंत्रों के उच्चारण के साथ दीप प्रज्वलन, भस्म अर्पण और शिव चालीसा या महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करना विशेष फलदायी होता है।

पितृ दोष से मुक्ति के लिए खास दिन

पौराणिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत, विशेष रूप से रवि प्रदोष, पितरों की आत्मा की शांति के लिए अत्यंत प्रभावी होता है। जो जातक अपने जीवन में बार-बार बाधाओं, असमय मृत्यु, संतानहीनता या आर्थिक अस्थिरता का सामना करते हैं, उनके लिए पितृ दोष एक कारण हो सकता है। इस दोष से मुक्ति पाने के लिए रवि प्रदोष व्रत पर शिवलिंग पर तिल, दूध, जल और काले तिल अर्पित करना और पितरों के नाम से दीपदान करना अत्यंत लाभकारी होता है।

इसके अतिरिक्त, गरीबों को भोजन कराना, जल पिलाना और गौ सेवा भी पितृ तृप्ति के विशेष उपाय माने गए हैं। इस दिन किए गए दान-पुण्य का फल कई गुना अधिक होकर जातक को जीवन में स्थायित्व और समृद्धि प्रदान करता है।

8 जून को शुभ संयोग और विशेष मुहूर्त

8 जून 2025 को रवि प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि और रविवार के संयोग में पड़ रहा है, जो इसे और अधिक पवित्र बनाता है। संध्या काल में जब दिन और रात मिलते हैं, वह समय शिव पूजन के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस काल में की गई साधना और आराधना व्यक्ति के अंदर की नकारात्मकता को दूर करती है और उसे मानसिक शांति, आत्मबल और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है।

रवि प्रदोष व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक जागृति का अवसर है। भगवान शिव के चरणों में भक्ति भाव से की गई पूजा, समर्पण और सेवा निश्चित रूप से जीवन के संकटों का निवारण करती है। ऐसे में 8 जून को आने वाले इस विशेष व्रत का अधिकतम लाभ उठाएं और शिव कृपा से अपना जीवन सुख-समृद्धि से भर दें।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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