क्यों नहीं तोड़नी चाहिए तुलसी रविवार के दिन? जानिए इसके पीछे की मान्यता और वैज्ञानिक कारण

हिंदू धर्म में तुलसी का विशेष महत्व है। इसे मां लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है और इसके पत्तों का उपयोग पूजा-पाठ से लेकर आयुर्वेदिक औषधियों तक में किया जाता है। परंतु सप्ताह के कुछ दिन ऐसे होते हैं, जब तुलसी के पौधे को छूना भी वर्जित माना जाता है — विशेषकर रविवार को। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रविवार को तुलसी के पत्ते तोड़ना अशुभ होता है और इससे देवी लक्ष्मी की कृपा रूठ सकती है।
रविवार को तुलसी तोड़ना क्यों है निषिद्ध?
पुराणों में वर्णित है कि तुलसी माता स्वयं देवी लक्ष्मी का स्वरूप हैं और रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है। सूर्य देव और लक्ष्मी जी के बीच एक विशेष संबंध माना गया है। इस दिन तुलसी को स्पर्श करना या पत्ते तोड़ना देवी लक्ष्मी का अपमान समझा जाता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति रविवार को तुलसी तोड़ता है, उसके जीवन से समृद्धि और सुख धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं।
धार्मिक मान्यता और पुराणों में उल्लेख
‘स्कंद पुराण’ और ‘पद्म पुराण’ जैसे ग्रंथों में स्पष्ट कहा गया है कि रविवार, एकादशी, संक्रांति और द्वादशी के दिन तुलसी को नहीं तोड़ना चाहिए। तुलसी को प्रतिदिन जल देना, दीपक जलाना और उसकी आरती करना तो शुभ होता है, लेकिन पत्ते तोड़ने से बचना चाहिए। ऐसा करने से न केवल पुण्य का क्षय होता है, बल्कि घर में दरिद्रता भी आ सकती है।
तुलसी के पौधे को लेकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण
तुलसी न केवल धार्मिक दृष्टि से पवित्र मानी गई है, बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्त्व भी अत्यधिक है। इसमें औषधीय गुण होते हैं जो वातावरण को शुद्ध करते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। रविवार को तुलसी पत्तियों में सूर्य की तीव्र ऊर्जा संचित रहती है। ऐसे में उस दिन पत्ते तोड़ने से उनकी औषधीय गुणवत्ता में कमी आ सकती है। इसलिए आयुर्वेद भी रविवार को तुलसी के उपयोग से परहेज करने की सलाह देता है।
कब और कैसे तोड़ें तुलसी?
तुलसी पत्ते तोड़ने के लिए सबसे शुभ समय प्रातःकाल माना गया है और वह भी केवल सोमवार से शनिवार के बीच। पत्ते तोड़ने से पहले हाथ धोना, शुद्ध रहना और मन में सम्मान का भाव होना जरूरी है। तुलसी को बाएं हाथ से नहीं तोड़ना चाहिए और जब भी पत्ते तोड़े जाएं, तो 'तुलस्यै नमः' मंत्र बोलकर तोड़ना चाहिए।
तुलसी का पौधा केवल एक पौधा नहीं, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र है। रविवार को तुलसी न तोड़ने की परंपरा न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ी है, बल्कि इसके पीछे गहरी वैज्ञानिक सोच भी है। इस नियम का पालन कर हम न केवल अपने धर्म का सम्मान करते हैं, बल्कि प्रकृति और उसके संतुलन को भी बनाए रखते हैं। अतः रविवार को तुलसी तोड़ने से बचें और अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करें।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।