रविवार को तुलसी तोड़ना क्यों होता है वर्जित? जानिए धार्मिक मान्यताओं और विज्ञान की जुबानी

तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में बेहद पवित्र और पूजनीय माना गया है। इसे माता लक्ष्मी का रूप कहा गया है और भगवान विष्णु की पूजा में इसका विशेष स्थान होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों कहा जाता है कि रविवार को तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित है? यह कोई अंधविश्वास नहीं, बल्कि धर्म और प्रकृति दोनों के नियमों पर आधारित मान्यता है। आइए जानते हैं इसके पीछे के गहरे कारण।
धार्मिक दृष्टिकोण: क्यों मना है रविवार को तुलसी तोड़ना?
हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित है कि तुलसी माता एक देवी रूप हैं और उनके पत्ते बिना उचित समय और विधि के नहीं तोड़ने चाहिए। सप्ताह में कुछ दिन ऐसे माने गए हैं जब तुलसी को छूना या तोड़ना वर्जित होता है। रविवार इन दिनों में सबसे प्रमुख है।
इस दिन सूर्य देव की उपासना की जाती है और तुलसी पौधे को सूर्य से संबंधित बताया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, रविवार को तुलसी माता विश्राम करती हैं। ऐसे में उन्हें स्पर्श करना या उनके पत्ते तोड़ना अशुभ फल देने वाला माना जाता है। कहा जाता है कि इससे माता लक्ष्मी की कृपा भी दूर हो जाती है।
सूर्य देव और तुलसी का संबंध
रविवार को सूर्य देव का दिन माना जाता है। सूर्य ग्रह अत्यंत तेजस्वी और शक्तिशाली ग्रह है, और तुलसी पौधे में सूर्य ऊर्जा को संचित करने की अद्भुत क्षमता होती है। इसलिए इस दिन तुलसी को यथासंभव विश्राम देना ही उचित माना जाता है। तुलसी के पत्ते तोड़ने से उसकी प्राकृतिक ऊर्जा चक्र प्रभावित होता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है महत्वपूर्ण
अगर हम वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो तुलसी के पौधे में अनेक औषधीय गुण होते हैं। यह पौधा सुबह और दोपहर में सबसे अधिक ऑक्सीजन छोड़ता है और वातावरण को शुद्ध करता है। रविवार को सूर्य की तीव्रता अधिक होती है, जिससे पौधे की जैविक क्रियाएं तेज हो जाती हैं।
इस समय तुलसी के पत्ते तोड़ना पौधे की वृद्धि पर विपरीत असर डाल सकता है। साथ ही, इस समय पत्तियों में बनने वाले औषधीय तत्वों की संरचना प्रभावित हो सकती है। यही कारण है कि वैज्ञानिक भी रविवार को तुलसी तोड़ने की सलाह नहीं देते।
तुलसी पूजन के नियमों का पालन करें
* तुलसी के पत्ते कभी भी नाखून से नहीं तोड़ें
* पत्ते हमेशा स्नान के बाद और पूर्व दिशा की ओर मुंह कर के तोड़ें
* रविवार, पूर्णिमा, एकादशी और संध्या काल में तुलसी पत्ते न तोड़ें
* पूजन हेतु पत्ते सुबह सूर्योदय के बाद तोड़ें और उसी दिन प्रयोग करें
* यदि विशेष कार्य हेतु पत्ते रविवार को चाहिए हों, तो शनिवार को तोड़कर सुरक्षित रखें
तुलसी केवल एक पौधा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का आध्यात्मिक स्तंभ है। इसमें आस्था, चिकित्सा और पर्यावरण तीनों का समावेश है। रविवार को तुलसी न तोड़ने की परंपरा न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़ी है, बल्कि यह प्रकृति और पौधे की जैविक संरचना के संरक्षण की समझदारी भी दर्शाती है। ऐसे में इस नियम का पालन करना न केवल शुभ बल्कि पर्यावरण हितैषी भी है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।